Yemen News: यमन में भारतीय नर्स की फांसी टली, क्या भारत सरकार के प्रयासों से मिली राहत

Yemen News: यमन में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया को बड़ी राहत मिली नज़र आ रही है है। यमन के स्थानीय प्रशासन ने निमिषा की फांसी की सजा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। निमिषा को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी, फांसी टलने में भारत के प्रमुख सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार की भूमिका अहम रही। उन्होंने यमन के प्रभावशाली सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज के साथ मिलकर तलाल के परिवार से बातचीत की। यमन के धमार शहर में हुई इस बैठक में ‘ब्लड मनी’ (मुआवजा) के जरिए माफी की संभावना पर चर्चा हुई। निमिषा का परिवार 8.6 करोड़ रुपये की पेशकश कर रहा है, ताकि पीड़ित परिवार उन्हें माफ कर दे। भारत सरकार ने भी कूटनीतिक स्तर पर यमन प्रशासन और स्थानीय नेताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा। विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास ने निमिषा के परिवार को कानूनी सलाह और पीड़ित परिवार से बातचीत में अहम मदद अदा की। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी अप्रैल 2024 से यमन में हैं और अपनी बेटी को बचाने के लिए तलाल के परिवार से समझौता करने की कोशिश जारी रक्खी हुई हैं।

हालांकि अभी तक फांसी की नई तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन फासी टलने से निमिषा और उनके परिवार के लिए नई उम्मीद जगाई है। भारत सरकार और धार्मिक नेताओं के प्रयास अब भी जारी हैं ताकि ब्लड मनी के जरिए निमिषा की सजा माफ हो सके।
सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार शुरू से ही इस मामले में सक्रिय रही है और निमिषा की सजा को टालने के लिए स्थानीय अधिकारियों और मृतक के परिवार के साथ लगातार संपर्क में थी। इसके अलावा, केरल के प्रभावशाली सुन्नी नेता कंथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार और यमनी सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज के प्रतिनिधियों ने मृतक के परिवार से बातचीत की, जिसके बाद फांसी को स्थगित करने का फैसला लिया गया। मंगलवार को धमार में हुई एक अहम बैठक में तलाल के परिवार ने इस स्थगन पर सहमति जताई।

यमनी कानून के तहत, मृतक का परिवार ‘ब्लड मनी’ (दिया) के बदले दोषी को माफ कर सकता है। ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ ने तलाल के परिवार को 10 लाख डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन अभी तक परिवार ने इसे स्वीकार नहीं किया है। भारत सरकार ने भी इस मामले में कूटनीतिक और कानूनी स्तर पर हर संभव प्रयास किए हैं, हालांकि हूती विद्रोहियों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंधों की कमी ने प्रक्रिया को जटिल बनाया है।

सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई हुई, जहां भारत सरकार ने अपनी कोशिशों की जानकारी दी। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया कि सरकार यमनी प्रशासन और प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 जुलाई 2025 के लिए निर्धारित की है, ताकि आगे की प्रगति की समीक्षा की जा सके।

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