घटना 21 नवंबर 2025 की है। प्रेमा थोंगडोक जापान जा रही थीं और शंघाई में ट्रांजिट थीं। चीन की इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को यह कहते हुए अमान्य करार दिया कि उनका जन्म स्थान अरुणाचल प्रदेश है, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत (ज़ांगनान) मानता है और अपना क्षेत्र बताता है। इसके बाद उन्हें 18 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि जैसे ही यह मामला सामने आया, भारत ने तुरंत चीन को कड़ा डेमार्श (आ जारी किया। प्रवक्ता जायसवाल ने कहा,
“हमने इस मुद्दे को चीन के साथ बहुत मजबूती से उठाया है। चीनी अधिकारियों ने अब तक अपने इस कदम की कोई संतोषजनक व्याख्या नहीं दी है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा से जुड़े कई समझौतों का उल्लंघन है। साथ ही यह चीन के अपने उस नियम का भी उल्लंघन है जिसमें सभी देशों के नागरिकों को 24 घंटे तक की वीजा-मुक्त ट्रांजिट सुविधा दी जाती है।”
दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि संबंधित व्यक्ति के साथ चीनी कानूनों और नियमों के अनुसार ही व्यवहार किया गया।
गौरतलब है कि ठीक 17 दिन पहले ही 9 नवंबर 2025 को चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस ने पांच साल बाद शंघाई-दिल्ली सीधी उड़ानें फिर शुरू की थीं। यह कदम दोनों देशों के नेताओं की अगस्त 2025 में तियान में SCO शिखर सम्मेलन के इतर हुई मुलाकात के बाद उठाया गया था।
यह घटना दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और अरुणाचल प्रदेश को लेकर चल रहे मतभेद को एक बार फिर बढ़ावा दे रही है। भारत हमेशा से स्पष्ट कहता आया है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है, जबकि चीन उसे “दक्षिण तिब्बत” कहकर अपना हिस्सा बताता रहा है।

