हलाल पर विवाद क्योंः यूपी में प्रोडक्ट्स पर नही लिखा होगा हलाल, पढिए पूरा मामला
आजकल की राजनीति में आप देखेंगे तो ऐसे मुद्दे पाएंगे जो आम जनता से कोई सरोकार बहुत ज्यादा नहीं रखते हो। लेकिन दिखाया ऐसा जाता है कि यह ही सब कुछ हो। ये ऐसे मुद्दे हैं जिनसे दुनिया पालटी जा सकती है। दुनिया पलटे ना पलटे लेकिन आपकी जब जरूर काटी जा सकती है। हलाल प्रोडक्ट्स को लेकर केन्द्र और यूपी सरकार में भी तल्खी बढ सकती है। लगातार महंगाई बढ़ रही है भाजपा शासित राज्यों में सिलेंडर करीब करीब ₹1100 का मिल रहा है लेकिन जिन राज्यों में चुनाव हो रहा है वहां 450 रुपए का सिलेंडर देने का भाजपा वादा कर रही है। एक और मुद्दा आपके सामने आने लगा है। वह है हलाल प्रोडेक्ट्स का, उत्तर प्रदेश में हलाल शब्द को लेकर काफी राजनीतिक गर्म रही है। शासन की ओर से हल शब्द को किसी प्रोडक्ट पर लिखना अपराध की श्रेणी में डाल दिया गया है 18 नवंबर को इस संबंध में यूपी सरकार ने आदेश जारी कर दिया। इस वीडियो को आप आखरी तक देखिएं तो पता चल जाएगा हलाल और झटका के बीच क्या अंतर है हलाल पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला कौन सा राज्य था
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हलाल और झटका दो तरह का मीट होता है हलाल यानी किसी भी जानवर की गर्दन पर कट लगा देना और उसे कुछ देर के लिए ऐसे ही छोड़ देना ताकि शरीर से पूरा खून बह जाए झटका मतलब एकदम से गर्दन काटना और खून भी अंदर ही रह जाता है साइंटिफिक रूप से देखा जाए तो हलाल शरीर के लिए सही ठहराया गया जबकि झटका खून रह जाने के बाद कुछ बीमारियां भी शरीर में ला सकता है ऐसे कयास लगाए जाते हैं और वैज्ञानिक भी मानते है। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के अनुसार हल पर खाद्य उत्पाद के साथ दावों पर भी लागू है हालांकि विदेश भेजे जाने वाले उत्पादों पर छूट रहेगी दरअसल हल को पहले कर्नाटक में दिसंबर 2022 में बंद किया गया देश भर में यह मुद्दा उसे वक्त भी उठा था 17 नवंबर को लखनऊ के हजरतगंज थाने में हलाल सर्टिफिकेशन जारी करने वाली कंपनियों पर फिर की गई इसका मतलब यह हुआ कि यूपी में किसी भी प्रोडक्ट पर हलाल लोकेशन करना पूरी तरह बना हो चुका है
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आपको बता दें कि योगी सरकार की इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी अब जमीयत उलेमाहीन कर रही है इस ट्रस्ट के सीईओ नियाज अहमद फारूकी ने यूपी में हल लिखे प्रोडक्ट्स की बिक्री पर शासन का प्रतिबंध लगाए जाने को पूरी तरह गलत ठहराया है फारूकी ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटा आएंगे कर्नाटक में भी विधान परिषद में भाजपा के सदस्य इन रवि कुमार हल पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक लाए थे उसे वक्त भाजपा नेताओं ने कहा था कि एफएसएसएआई के अलावा किसी और निकाय द्वारा खाद्य वस्तुओं को सर्टिफिकेशन नहीं करना चाहिए इस मुद्दे को लेकर पिछले साल मार्च में भी विवाद खड़ा हो गया था जब हिंदू संगठनों ने उगादि उत्सव के दौरान राज्य में हलाल मांस के बहिष्कार का पूर्णतया आवाहन किया थाउसे दौरान भाजपा का एक धड़ा विधेयक पारित कर इसे कानूनी मान्यता देना चाहता था जबकि दूसरा ऐसा नहीं चाहता था इसे एक निजी बिल के रूप में पेश करने की योजना बनाई गई थी और पेश किया गया जिसके बाद यह सरकारी भी देखना होने के कारण आगे नहीं बढ़ पाया