नोएडा प्राधिकरण सभी औद्योगिक सेक्टरों में सर्वे कर रहा है, ताकि पता चल सके फैक्ट्रियों में जो बेसमेंट बनाए गए हैं वे किस किस इस्तेमाल में आ रहे हैं। दरअसल जब से प्राधिकरण की ओर से फैक्ट्रियों में बेसमेंट के लिए सर्वे शुरू किया गया है तो उद्यमियों में डर का माहौल है।
आइए समझते है आखिर क्या है पूरा मामला
जब से राजेंद्र नगर राव आईएएस कोचिंग सेंटर में तीन छात्रों की बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी के अंदर डूबकर मौत हुई है, तब से नोएडा में भी जिला प्रशासन, फायर विभाग और प्राधिकरण सतर्क हो गए। सेक्टर 62 में आईटी बिल्डिंग में बने कोचिंग सेंटर का सर्वे किया गया। जहाँ बेसमेंट में कार पार्किंग कागजों में दिखाई गई थी, लेकिन मौके पर कहीं ऑफिस चल रहा था तो कहीं कक्षाएं बनाई गई थी। आकाश इंस्टिट्यूट में सेमिनार हॉल बेसमेंट में बना गया था। फिटजी में बेसमेंट के अंदर ऑफिस ब्लॉग बनाया हुआ था। ठीक इसी तरह अन्य कोचिंग सेंटर्स में भी नियमों के विरुद्ध जाकर काम हो रहा है। इस सब को ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ लोकेश एम ने वर्क सर्किल प्रभारियों को निर्देश दिए कि वे अपने अपने क्षेत्र में जाकर सर्वे करें। सभी जेई अपने अपने सेक्टरों में जाकर सर्वे करने लगे। जिससे की उद्यमियों में डर का माहौल उत्पन्न हो गया। कारण है बेसमेंट में कही फैक्टरी चल रही है तो कहीं ऑफिस बनाया हुआ है। कहीं कहीं स्टोर रूम यानी गोदाम के रूप में बेसमेंट का इस्तेमाल हो रहा है। दरअसल, जिस वक्त फैक्टरी मालिकों ने प्राधिकरण से कंप्लीशन सर्टिफिकेट लिया उस दौरान बेसमेंट को खाली या स्टोर रूम के रूप् में दिखा। कही प्लाॅट बड़ा है तो उसमें कार पार्किग बताई गई है। यदि ऐसे में ईमानदारी से वर्क सर्कल अपनी रिपोर्ट देगा तो बेसमेंट सील हो जाएंगे। सबसे बड़ा डर का यही कारण है।
अस्पताल और घरों में बने प्लेसमेंट का क्या हो रहा इस्तेमाल
ऐसे में सबसे अहम सवाल ये है कि क्या अब अस्पतालों की बारी आने वाली है। इसके अलावा आवासीय सेक्टरों में घर के अंदर बने बेसमेंट में जिम खोल रखे है। क्या ये भी बंद होंगे या फिर प्राधिकरण आईटी और फैक्ट्रियों तक सर्वे करके इतिश्री कर लेगा।
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