मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और विपक्ष के बीच सहयोग की यह मिसाल तब और मजबूत हुई, जब सदन में हल्की-फुल्की मस्ती भरी घटना घटी। नीतीश कुमार ने विपक्षी नेता तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए कहा, “अरे खड़े हो ना भाई,” जिससे सदन में ठहाके गूंज उठे। नए स्पीकर प्रेम कुमार ने अपने पहले भाषण में स्पष्ट संकल्प लिया कि वे शासक पक्ष और विपक्ष के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करेंगे।
सर्वसम्मति से चुनाव, शपथ समारोह में मित्रता के पल
बिहार विधानसभा का यह सत्र हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद शुरू हुआ है। सोमवार को 235 नवनिर्वाचित विधायकों ने प्रो-टेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव के समक्ष शपथ ग्रहण की, जो हिंदी, मैथिली, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू में ली गई। मंगलवार को स्पीकर चुनाव के दौरान उप मुख्यमंत्री सम्राट चौहान ने प्रेम कुमार का नाम प्रस्तावित किया, जबकि संसदीय कार्य मंत्री विजय चौहान ने समर्थन दिया। विपक्ष ने कोई उम्मीदवार उतारने से इनकार कर दिया, जिससे चार प्रस्तावों को एक साथ पारित कर दिया गया।
चुनाव के बाद का दृश्य तो और भी दिलचस्प था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मिलकर प्रेम कुमार को स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचाया। नीतीश ने सदन के सभी सदस्यों से खड़े होकर अभिवादन करने को कहा। विपक्ष की बेंच की ओर मुड़ते हुए उन्होंने तेजस्वी से कहा, “अरे खड़े हो ना भाई।” यह पल सदन की गरिमा और राजनीतिक सौहार्द का प्रतीक बन गया। शपथ समारोह के दौरान भी मित्रता के ऐसे ही क्षण दिखे—तेजस्वी और सम्राट चौहान ने हाथ मिलाया, जबकि राम कृपाल यादव ने तेजस्वी को गले लगाया। हालांकि, मोकामा के विधायक अनंत सिंह शपथ लेने से वंचित रहे, जो एक कथित हत्या मामले में जेल में हैं।
प्रेम कुमार: जेपी आंदोलन से निकले योद्धा, अब सदन के संरक्षक
69 वर्षीय प्रेम कुमार गयाटाउन से नौ बार विधायक चुने जा चुके हैं। वे पेशे से पीएचडी धारक हैं और अत्यंत पिछड़े वर्ग (ईबीसी) से ताल्लुक रखते हैं। उनकी राजनीतिक जड़ें जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ी हैं। वे 10 से अधिक विभागों जैसे कृषि, पर्यटन, आपदा प्रबंधन, सहकारिता, पर्यावरण और शहरी विकास में मंत्री रह चुके हैं। 2005, 2010, 2017-2020 तथा 2020-2024 की नीतीश कुमार सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि 2015-2017 में विपक्ष के नेता भी रहे। हाल के चुनाव में उन्होंने 90,878 वोटों के भारी अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी ओंकार नाथ अखौरी को हराया।
अपने पहले भाषण में प्रेम कुमार ने भगवद्गीता के प्रसिद्ध श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” से शुरुआत की। उन्होंने कहा, “यह केवल मेरे प्रति विश्वास नहीं, बल्कि हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय शिष्टाचार में विश्वास है।” महात्मा गांधी का हवाला देते हुए बोले, “भविष्य आज पर निर्भर करता है।” स्पीकर ने जोर दिया कि मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन “मन या शरीर का कभी संघर्ष नहीं होना चाहिए।” वे विचारधारा के विभाजनों पर “संवाद के पुल बनाने” की वकालत करते हुए बोले कि सदन में शासक और विपक्ष दोनों बेंचों को समान महत्व मिलेगा। उनकी प्राथमिकताओं में विधायी कार्यवाही को डिजिटल化 करना और ई-गवर्नेंस सुधार शामिल हैं।
विपक्ष का सहयोग, तेजस्वी की शुभकामनाएं
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रेम कुमार को बधाई देते हुए कहा, “नया स्पीकर ज्ञान और मोक्ष की भूमि से आता है,” गया का जिक्र करते हुए। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्पीकर शासक पक्ष और विपक्ष दोनों को आगे ले जाएंगे। “हम विश्वास करते हैं कि आप किसी को निराश नहीं करेंगे। पूरी विपक्ष आपके साथ खड़ी है।” तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि विपक्ष सरकार का हिस्सा है और कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं। वे सकारात्मक कदमों का समर्थन करेंगे, लेकिन जनहित से भटकाव पर सख्ती बरतेंगे। उन्होंने नीतीश कुमार को अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामनाएं दीं।
विभिन्न दलों के नेताओं ने भी बधाई का दौर चलाया। भाजपा के सम्राट चौहान और विजय कुमार सिन्हा, जद(यू) के विजय चौहान, एलजेपी (राम विलास) के राजू तिवारी, हम के दीपा मांझी, आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता, आरजेडी के कुमार सर्वजीत, कांग्रेस के मनोहर सिंह, एआईएमआईएम के अख्तरुल इमान तथा वामपंथी नेता अरुण सिंह और अजय कुमार ने स्पीकर को शुभकामनाएं दीं। यह दृश्य बिहार की राजनीति में नई ऊर्जा का संकेत देता है।
आगे की राह: उप-स्पीकर चुनाव और विकास का नया दौर
उप-स्पीकर का चुनाव 4 दिसंबर को होगा, जिसके लिए नामांकन बुधवार दोपहर तक खुले रहेंगे। प्रेम कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा अब डिजिटल युग की ओर बढ़ने को तैयार है। उनका यह संकल्प कि सदन सदस्यों के अधिकारों की रक्षा और नियमों का सख्त पालन सुनिश्चित होगा, राज्य के विकास के नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। बिहार की राजनीति में यह सौहार्दपूर्ण माहौल उम्मीद जगाता है कि विधानसभा सत्र बिना किसी बाधा के चलेगा और जनता के मुद्दों पर केंद्रित रहेगा।

