दशहरा 1 या 2 अक्टूबर, कब है दशहरा? जानें रावण दहन का मुहूर्त और महत्व

Dussehra News: हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक दशहरा, जो विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष 2 अक्टूबर गुरुवार को मनाया जाएगा। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर पड़ने वाला यह त्योहार अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। हर साल दशहरा की तिथि को लेकर कुछ भ्रम रहता है, खासकर जब तिथि दो दिनों में फैलती है, लेकिन इस बार दृक पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 1 अक्टूबर शाम 7:01 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होगी। इसलिए, पूजन और रावण दहन का मुख्य आयोजन 2 अक्टूबर को ही किया जाएगा। इस दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है, जो पूजा-पाठ और शुभ कार्यों को और अधिक फलदायी बनाता है।

दशहरा 2025 का शुभ मुहूर्त
दशहरा पर शस्त्र पूजन और रावण दहन के लिए विशेष मुहूर्त निर्धारित हैं। दृक पंचांग के अनुसार:
• ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:38 बजे से 5:26 बजे तक।
• दोपहर का पूजन मुहूर्त: दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक।
• शस्त्र पूजन मुहूर्त: दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक (कुल अवधि 47 मिनट)। इस समय योद्धाओं और शस्त्रों की पूजा की जाती है, जो विशेष पुण्य प्रदान करता है।
• रावण दहन मुहूर्त: प्रदोष काल में, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। इस दिन सूर्यास्त शाम 6:05 या 6:06 बजे होगा, इसलिए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन शाम 6 बजे के बाद किया जाएगा।
ये मुहूर्त दिल्ली-एनसीआर के समय के अनुसार हैं; अन्य शहरों में थोड़ा अंतर हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग की जांच करें।

दशहरा का धार्मिक महत्व
दशहरा का पर्व नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवें दिन मनाया जाता है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का संदेश देता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को मुक्त किया था। रामायण के अनुसार, 14 वर्ष वनवास के दौरान रावण द्वारा अपहृत सीता को वापस पाने के लिए राम ने वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई की और दशमी तिथि पर रावण का अंत किया। दूसरी ओर, देवी भागवत पुराण में वर्णित है कि मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार इसी दिन किया था।

इसलिए, दशहरा अधर्म के दस सिरों (रावण के दस सिर) पर धर्म की विजय का प्रतीक है। यह पर्व न केवल रामलीला और रावण दहन के माध्यम से मनाया जाता है, बल्कि शस्त्र पूजन से योद्धा भाव जागृत करता है। ज्योतिषीय दृष्टि से, इस दिन नए कार्यों की शुरुआत, वाहन खरीद या शस्त्रों की पूजा शुभ मानी जाती है। पूर्वी भारत में यह दुर्गा पूजा के समापन के रूप में मनाया जाता है, जहां मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है, जबकि उत्तर भारत में रामलीला का भव्य आयोजन प्रमुख होता है।
देशभर में इस वर्ष भी दिल्ली के रामलीला मैदान, मायसूर के दशहरा उत्सव, कुल्लू घाटी और कोलकाता की दुर्गा पूजा में लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे। दशहरा पर बाजारों में रौनक छाई रहेगी, और परिवारों के बीच मिठाइयां व पारंपरिक व्यंजन बांटे जाएंगे।

यह पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है।

सभी को दशहरा 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं।

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