पश्चिम बंगाल: बीएलओ की मौतों का जिम्मेदार CEC, ‘खून से रंगे हाथ’

Election Commission/Trinamool Congress News: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को यहां निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की पूर्ण पीठ से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल में चल रही विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया से जुड़ी कम से कम 40 मौतों का जिम्मेदार मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार को ठहराया। प्रतिनिधिमंडल ने सीईसी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “उनके हाथों पर खून है।” यह आरोप ईसीआई के अधिकारियों के बीच हंगामा मचा गया, जहां टीएमसी नेताओं ने पांच सवालों का जवाब न मिलने पर नाराजगी जताई।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राज्यसभा सांसद डेरिक ओ’ब्रायन ने किया, जिसमें लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा, सताबदी रॉय, कल्याण बनर्जी, प्रतिमा मंडल, सजदा अहमद और राज्यसभा सांसद डोला सेन, ममता ठाकुर, साकेत गोखले तथा प्रकाश चिक बरि शामिल थे। मुलाकात निर्वाचन सदन में सुबह 11 बजे शुरू हुई, जो करीब दो घंटे चली। मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में ओ’ब्रायन ने कहा, “हमने बैठक की शुरुआत में ही सीईसी को सूचित किया कि उनके हाथों पर खून है। हमने पांच सवाल उठाए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हमने 40 मिनट तक अपनी बात रखी, फिर सीईसी ने एक घंटे तक अपनी बात कही।”

महुआ मोइत्रा ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने सीईसी को 40 लोगों की सूची सौंपी, जिनकी मौतें SIR प्रक्रिया से जुड़ी बताई गईं। इनमें से 17-18 बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) थे, जिन्होंने कथित तौर पर आत्महत्या की। मोइत्रा ने कहा, “हमें आश्चर्य हुआ कि सीईसी इन मौतों से अनभिज्ञ थे और इन्हें ‘केवल आरोप’ बता दिया।” उन्होंने पांच सवालों का जिक्र करते हुए कहा:
1. SIR का उद्देश्य ‘गैर-नागरिकों’ को पकड़ना था, तो बिहार में कितने ऐसे मामले मिले? जवाब: शून्य। लाखों ‘अतिक्रमणकारियों’ का दावा खोखला साबित हुआ।
2. म्यांमार सीमा पर लगे राज्यों में SIR क्यों नहीं? बिहार तो ट्रायल था, बंगाल असली निशाना।
3. असम को ‘विशेष संशोधन’ क्यों, जबकि बंगाल को ‘गहन’ SIR? यह असमानता क्यों?
4. पुरानी मतदाता सूचियां अविश्वसनीय हैं, तो 2024 लोकसभा चुनाव का आधार क्या? क्या इसे रद्द किया जाना चाहिए?
5. SIR की योजना क्यों इतनी अव्यवस्थित और क्रूर?

ओ’ब्रायन ने स्पष्ट किया कि टीएमसी SIR के कॉन्सेप्ट का विरोध नहीं कर रही, बल्कि इसकी “अव्यवस्थित और हृदयहीन” तरीके से अमल का विरोध है। उन्होंने कहा, “यह प्रक्रिया लोगों की जान ले रही है।” राज्यसभा सांसद ममता ठाकुर ने कहा, “39 मौतों की सूची थी, जो अब 40 हो गई। आधी से ज्यादा ने आत्महत्या नोट में ईसीआई का नाम लिया। अगर अतिक्रमणकारी हैं, तो मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल, नागालैंड क्यों नहीं SIR में शामिल?”

SIR प्रक्रिया
विशेष गहन संशोधन (SIR) मतदाता सूचियों को अपडेट करने का ईसीआई का अभियान है, जो वर्तमान में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है, जिसमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है। इसका उद्देश्य ‘भूतिया’ वोटरों और संदिग्ध नामों को हटाना है। लेकिन टीएमसी इसे ‘साइलेंट इनविजिबल रिगिंग’ (SIR) बता रही है, जो 2026 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का वोटर सूची में हेरफेर का हथियार है। पश्चिम बंगाल में बीएलओ पर दबाव इतना बढ़ गया कि कई ने कथित तौर पर तनाव से आत्महत्या कर ली। ईसीआई ने मौतों को SIR से जोड़ने से इंकार किया है, लेकिन राज्य में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में सीईसी को पत्र लिखकर SIR रोकने की मांग की थी। विपक्षी भाजपा ने इसे राजनीतिक ड्रामा बताया है। भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, “बीएलओ की मौतें स्वास्थ्य या पारिवारिक कारणों से हुईं, SIR से नहीं। हम दुखी हैं, लेकिन सभी बीएलओ अच्छा काम कर रहे हैं।”

सोशल मीडिया पर हंगामा
X (पूर्व ट्विटर) पर #SelectiveSIR, #ECIExposed और #SaveDemocracy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक पोस्ट में महुआ मोइत्रा का वीडियो वायरल है, जहां वे कह रही हैं, “मतदाता सूची संदिग्ध है, तो लोकसभा का आधार क्या?” हजारों यूजर्स ने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताया, जबकि समर्थक इसे ‘वोटर क्लीनिंग’ बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “टीएमसी का डेटा-बॉम्ब ईसीआई को हिला देगा।”

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद 2026 बंगाल चुनाव को प्रभावित कर सकता है। ईसीआई ने अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया, लेकिन संसदीय सत्र में SIR पर बहस की मांग तेज हो रही है।

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