ट्रम्प के टैरिफ से काले व्यवसायों पर पड़ा असमान प्रभाव, विशेषज्ञ जाता रहे चिंता, पढ़िये पूरी ख़बर

Washington News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लागू किए गए नए टैरिफ नीतियों का काले उद्यमियों और उनके व्यवसायों पर असमान रूप से गहरा प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन टैरिफ्स के कारण काले समुदाय के व्यवसाय, विशेष रूप से कम मार्जिन वाले व्यवसाय, वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। यह जानकारी आर्थिक असमानता और धन अंतराल के संदर्भ में सामने आई है, जो काले उद्यमियों को और अधिक जोखिम में डाल रही है।
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन ने भारत, चीन, कनाडा, और मेक्सिको जैसे देशों पर 10% से 50% तक के टैरिफ लागू किए हैं, जो 1 अगस्त 2025 से प्रभावी हो चुके हैं। इन टैरिफ्स का उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना है, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से काले उद्यमियों पर पड़ रहा है।
काले व्यवसायों पर असर
एक विशेषज्ञ, गबेंगा अजिलोर ने अपने हालिया शोध में बताया कि ट्रम्प की नीतियां काले समुदाय के लिए तिगुनी चुनौती पैदा कर रही हैं। इनमें स्वास्थ्य सेवाओं और खाद्य सहायता में कटौती, संघीय नौकरियों और नागरिक अधिकार संरक्षण में कमी, और टैरिफ्स का काले व्यवसायों पर भारी प्रभाव शामिल हैं। उन्होंने बताया कि काले उद्यमी, जो पहले से ही धन अंतराल (wealth gap) के कारण सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं, इन टैरिफ्स के कारण अपनी आय और लाभ में कमी का सामना कर रहे हैं।
कम मार्जिन वाले व्यवसाय, जैसे कि खुदरा, छोटे पैमाने के विनिर्माण, और सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। टैरिफ्स के कारण आयातित कच्चे माल और उत्पादों की लागत बढ़ रही है, जिससे इन व्यवसायों की उत्पादन लागत में वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि काले उद्यमियों के पास अक्सर बड़े वित्तीय भंडार या पूंजी तक पहुंच सीमित होती है, जिसके कारण वे इस बढ़ती लागत को सहन करने में असमर्थ हैं।
आर्थिक असमानता और धन अंतराल
अमेरिका में काले समुदाय और अन्य समुदायों के बीच धन अंतराल पहले से ही एक गंभीर समस्या बना हुआ है। काले उद्यमियों के पास औसतन कम पूंजी और वित्तीय संसाधन होते हैं, जिसके कारण वे आर्थिक झटकों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। टैरिफ्स से उत्पन्न लागत वृद्धि इन व्यवसायों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है, क्योंकि वे कीमतों में वृद्धि को ग्राहकों तक स्थानांतरित करने में सक्षम नहीं हैं, जिससे उनकी बिक्री और लाभप्रदता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
अजिलोर ने चेतावनी दी है कि यदि ये नीतियां लंबे समय तक लागू रहीं, तो काले समुदाय के व्यवसायों में बड़े पैमाने पर बंदी या दिवालियापन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि टैरिफ नीतियों को लागू करने से पहले अल्पसंख्यक समुदायों पर उनके प्रभाव का आकलन किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने सुझाव दिया कि काले उद्यमियों को वित्तीय सहायता और कर राहत जैसे उपायों के माध्यम से समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए।
भारत और वैश्विक संदर्भ
ट्रम्प की टैरिफ नीतियां न केवल अमेरिकी व्यवसायों, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रही हैं। भारत जैसे देशों पर 25% से 50% तक के टैरिफ लागू किए गए हैं, जिसका असर भारतीय निर्यात क्षेत्रों, जैसे कि वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स, और रत्न व आभूषण, पर पड़ रहा है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है, जिसका अप्रत्यक्ष प्रभाव अमेरिका में काले उद्यमियों पर भी पड़ सकता है, जो इन आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर हैं।
निष्कर्ष
ट्रम्प की टैरिफ नीतियां वैश्विक व्यापार और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर कर रही हैं। काले उद्यमियों के लिए, ये नीतियां पहले से मौजूद आर्थिक असमानताओं को और बढ़ा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है, ताकि काले समुदाय के व्यवसायों को संरक्षित किया जा सके और आर्थिक समावेशन को बढ़ावा दिया जा सके।
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