अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने किया दावा, ब्रिटेन ने Apple के लिए ‘बैकडोर’ नियम छोड़ने की सहमति दी

Washington/London News: अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) तुलसी गबार्ड ने सोमवार को दावा किया कि ब्रिटेन ने iPhone निर्माता Apple से उपयोगकर्ताओं के सुरक्षित एन्क्रिप्टेड डेटा तक पहुंचने के लिए ‘बैकडोर’ प्रदान करने की अपनी मांग को वापस ले लिया है। यह दावा गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह अमेरिकी नागरिकों की निजता की रक्षा से जुड़ा है।
गबार्ड के अनुसार, ब्रिटेन सरकार ने पहले Apple पर दबाव डाला था कि वह अपने उपकरणों में एक ऐसा तकनीकी रास्ता बनाए, जिसके जरिए कानून प्रवर्तन एजेंसियां उपयोगकर्ताओं के एन्क्रिप्टेड डेटा तक पहुंच सकें। इस तरह का ‘बैकडोर’ सरकारी निगरानी को आसान बनाने के लिए मांगा गया था, लेकिन इससे निजता के अधिकारों को खतरा हो रहा था। गबार्ड ने कहा कि उनकी बातचीत और दबाव के बाद ब्रिटेन ने यह मांग वापस लेने का फैसला किया है।
मामले की पृष्ठभूमि
Apple ने लंबे समय से एन्क्रिप्शन को अपने उत्पादों की सुरक्षा का आधार बनाया है। कंपनी का कहना है कि मजबूत एन्क्रिप्शन उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को सुनिश्चित करता है और उनके डेटा को हैकर्स या अनधिकृत पहुंच से बचाता है। हालांकि, कई सरकारें, जिनमें ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं, समय-समय पर दावा करती रही हैं कि मजबूत एन्क्रिप्शन आपराधिक गतिविधियों की जांच में बाधा डालता है, जैसे आतंकवाद या संगठित अपराध।
ब्रिटेन की इस मांग का विरोध न केवल Apple ने किया, बल्कि गोपनीयता के हिमायती संगठनों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भी इसे उपयोगकर्ताओं की निजता पर हमला बताया। उनका तर्क था कि ‘बैकडोर’ बनाना न केवल सरकारी दुरुपयोग की संभावना को बढ़ाता है, बल्कि हैकर्स के लिए भी सिस्टम को कमजोर करता है।
गबार्ड की भूमिका और प्रतिक्रिया
तुलसी गबार्ड, जो हाल ही में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक बनी हैं, ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह निजता और सुरक्षा के बीच संतुलन के पक्ष में हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी नागरिकों के डेटा की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। गबार्ड ने दावा किया कि उनकी पहल के बाद ब्रिटेन ने इस विवादास्पद मांग को छोड़ने का फैसला किया, जो अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के लिए एक बड़ी जीत है।
हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है, और ब्रिटेन सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच खुफिया और तकनीकी सहयोग को प्रभावित कर सकता है।

आगे क्या?
जहां एक ओर उपयोगकर्ता डेटा की गोपनीयता है और दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे। Apple ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के विवाद भविष्य में और बढ़ सकते हैं, क्योंकि डिजिटल गोपनीयता और सरकारी निगरानी के बीच रस्साकशी जारी है।

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