भारत और कनाडा के बीच विवाद कम होता नजर नही आ रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि भारत को अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी और से सीखने की जरूरत कोई नहीं है। अभिव्यक्ति की आजादी को इस हद तक बढ़ावा नहीं दिया जा सकता कि वो हिंसा भड़काने में इस्तेमाल होने लगे। ये किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- हमारे मिशन्स पर स्मोक बॉम्ब फेंके जाते हैं। राजदूतों को धमकाया जाता है और उनके खिलाफ जगह-जगह पोस्टर लगाए जाते हैं। क्या ये आम बात है? अभी ये भारत के खिलाफ हुआ है, अगर ये किसी और देश के खिलाफ किया गया होता तब भी क्या इस मामले को इतना ही सामान्य समझा जाता? कनाडा में जो कुछ भी हुआ वो कोई छोटी या आम बात नहीं है।जयशंकर ने सवाल पूछते हुए कहा- अगर किसी और की एम्बेसी और लोगों पर हमले हो रहे होते तो वो कैसे रिएक्ट करते? हम बताना चाहते हैं कि हमारे दरवाजे बंद नहीं हैं, लेकिन किसी के पास कोई ठोस सबूत है तो आप उसे साझा करें। हम इस पर बात करने के लिए तैयार हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि विएना कनवेंशन के तहत ये हर देश का फर्ज है कि वो अपने यहां रह रहे राजदूतों को काम करने के लिए सुरक्षित माहौल दें। ये मामला द्विपक्षीय नहीं बल्कि नियम और कानून का है। अभी जो भी बिलबोर्ड लगाए गए हैं, धमकियां दी गई हैं या जो प्रदर्शन हो रहे हैं, वो कनाडा में है। भारत में ये माहौल नहीं है। इसलिए उन्हें इस पर सही कार्रवाई करनी चाहिए।
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हकीकत बयानबाजी से कोसों दूर
इससे पहले जयशंकर ने वॉशिंगटन में थिंक टैंक के साथ हुए डिस्कशन में कहा था कि हमने इस बारे में अमेरिका से चर्चा की है। विदेश मंत्री ने कहा कि अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता। जब वास्तविकता, बयानबाजी से कोसों दूर हो जाए तो हमारे भीतर इसके खिलाफ आवाज उठाने का साहस होना चाहिए। इसके पहले 26 सितंबर को उन्होंने कनाडा का नाम लिए बिना कहा था- आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन राजनीतिक सहूलियत के हिसाब से नहीं लेना चाहिए। दरअसल, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।