विवेक अग्निहोत्री ने कहा, बंगाल था बंटवारे की असली रणभूमि, विभाजन की सच्चाई को उजागर करने की जरूरत

Film Director/Vivek Ranjan Agnihotri News: फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने डीडी न्यूज़ के साथ एक विशेष बातचीत में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के चित्रण को लेकर बॉलीवुड पर तीखे सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड ने बंटवारे जैसे संवेदनशील और ऐतिहासिक मुद्दे को वास्तविकता के बजाय सतही और आकर्षक विज़ुअल्स तक सीमित कर दिया, जिसके कारण देश की जनता इस त्रासदी की गहराई और सच्चाई से अनभिज्ञ रही। अग्निहोत्री ने विशेष रूप से जोर देकर कहा कि बंटवारे की असली रणभूमि बंगाल था, जिसे फिल्मों में अक्सर नजरअंदाज किया गया।

अग्निहोत्री, जो अपनी फिल्मों द ताशकंद फाइल्स और द कश्मीर फाइल्स के लिए जाने जाते हैं, ने अपनी आगामी परियोजना द बंगाल फाइल्स के संदर्भ में यह बात कही। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बॉलीवुड में हर धर्म, समुदाय और सामाजिक मुद्दे पर फिल्में बन चुकी हैं, तो हिंदुओं के इतिहास और उनकी पीड़ा को दर्शाने वाली फिल्में बनाने में इतनी हिचक क्यों है? उनके मुताबिक, बंगाल में बंटवारे के दौरान हुई हिंसा, विस्थापन और मानवीय त्रासदी को सही मायनों में सामने लाने की जरूरत है।

बंगाल में बंटवारे की त्रासदी
विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि 1947 के बंटवारे के दौरान बंगाल में हुए दंगे और नरसंहार पंजाब के समान ही भयावह थे, लेकिन इन्हें उतना महत्व नहीं दिया गया। 1946 में मुस्लिम लीग द्वारा घोषित ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ के बाद कोलकाता और नोआखाली जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी। इन दंगों में हजारों लोग मारे गए और लाखों को अपने घर छोड़कर पलायन करना पड़ा। अग्निहोत्री का कहना है कि बॉलीवुड ने इस त्रासदी को या तो पूरी तरह अनदेखा किया या इसे केवल रोमांटिक और सतही कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे बंटवारे की वास्तविक भयावहता दबकर रह गई।

‘द बंगाल फाइल्स’ का उद्देश्य
द बंगाल फाइल्स के जरिए अग्निहोत्री का मकसद बंगाल के बंटवारे की अनकही कहानियों को सामने लाना है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करेगी, बल्कि उन लोगों की पीड़ा को भी सामने लाएगी, जिन्होंने इस त्रासदी को झेला। अग्निहोत्री ने जोर देकर कहा कि हिंदुओं के इतिहास और उनकी पीड़ा को सिनेमा के माध्यम से सामने लाना जरूरी है, क्योंकि यह देश के एक बड़े वर्ग की कहानी है, जिसे अब तक अनदेखा किया गया।

बॉलीवुड पर सवाल
अग्निहोत्री ने बॉलीवुड की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड ने हमेशा से व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता दी और संवेदनशील मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया। बंटवारे जैसे विषय को केवल मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया गया, जिसमें ऐतिहासिक तथ्यों और पीड़ितों की भावनाओं की अनदेखी की गई। उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल के बंटवारे की कहानी को सामने लाने की उनकी यह पहल न केवल इतिहास को समझने में मदद करेगी, बल्कि यह भी बताएगी कि कैसे सांप्रदायिकता और राजनीतिक स्वार्थों ने देश को खंडित किया।

सामाजिक और राजनीतिक बहस
अग्निहोत्री की इस टिप्पणी ने एक बार फिर बंटवारे को लेकर सामाजिक और राजनीतिक बहस को हवा दी है। हाल ही में एनसीईआरटी के एक मॉड्यूल में बंटवारे की जिम्मेदारी को लेकर कांग्रेस और मुस्लिम लीग पर सवाल उठाए गए थे, जिसके जवाब में कांग्रेस ने आरएसएस और हिंदू महासभा को जिम्मेदार ठहराया था। अग्निहोत्री का यह बयान इस बहस को और गहरा सकता है, क्योंकि उनकी फिल्म द बंगाल फाइल्स बंटवारे के उन पहलुओं को उजागर करने का दावा करती है, जो अब तक अनछुए रहे हैं।

निष्कर्ष
विवेक अग्निहोत्री की यह टिप्पणी और उनकी आगामी फिल्म द बंगाल फाइल्स भारत के बंटवारे की अनकही कहानियों को सामने लाने का एक प्रयास है। उनका मानना है कि सिनेमा एक शक्तिशाली माध्यम है, जिसके जरिए इतिहास की सच्चाई को जनता तक पहुंचाया जा सकता है। यह फिल्म न केवल बंगाल के बंटवारे की त्रासदी को उजागर करेगी, बल्कि यह भी सवाल उठाएगी कि क्यों कुछ कहानियां इतिहास के पन्नों में दबकर रह गईं।

द बंगाल फाइल्स का ट्रेलर पहले ही चर्चा में है, और दर्शकों को इस फिल्म से एक ऐसी कहानी की उम्मीद है, जो न केवल भावनात्मक रूप से प्रभावित करे, बल्कि ऐतिहासिक सच्चाई को भी सामने लाए।

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