राष्ट्रपति मुर्मू ने समारोह में कहा, “ये पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी बच्चे अपने परिवार, समाज और पूरे देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। ऐसे साहसी और प्रतिभाशाली बच्चे आगे भी अच्छा कार्य करते रहेंगे और भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाएंगे।” उन्होंने वीर बाल दिवस के महत्व पर जोर देते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के बलिदान को याद किया और कहा कि देश की महानता तब निर्धारित होती है जब उसके बच्चे देशभक्ति और उच्च आदर्शों से भरे हों।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पुरस्कार विजेता बच्चों से मुलाकात की और उन्हें ‘विकसित भारत’ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला बताया। पीएम ने कहा कि जेनरेशन जेड और अल्फा विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में अहम योगदान देगी।
इन बहादुर और प्रतिभाशाली बच्चों ने बढ़ाया देश का मान
इस साल के विजेताओं में कई ऐसे बच्चे शामिल हैं जिनकी कहानियां पूरे देश को प्रेरित कर रही हैं:
• श्रवण सिंह (10 वर्ष, पंजाब, फिरोजपुर): ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सीमा पर तैनात भारतीय जवानों की सेवा करने वाले इस ‘वीर बाल सैनिक’ ने ड्रोन हमलों के खतरे के बावजूद हर दिन चाय, दूध, छाछ, मिठाई और बर्फ पहुंचाई। श्रवण ने पुरस्कार लेने के बाद कहा, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति से मिलूंगा।”
• वैभव सूर्यवंशी (14 वर्ष, बिहार): युवा क्रिकेट सनसनी वैभव ने पाकिस्तानी खिलाड़ी का 39 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। पुरस्कार लेने दिल्ली आए वैभव विजय हजारे ट्रॉफी में मणिपुर के खिलाफ मैच नहीं खेल पाए।
• वाका लक्ष्मी प्राज्ञिका (7 वर्ष, गुजरात): सबसे कम उम्र की विजेता। चेस की ग्रैंडमास्टर ने फिडे वर्ल्ड स्कूल चेस चैंपियनशिप 2025 में सभी 9 मैच जीतकर खिताब अपने नाम किया।
• ब्योमा/व्योमा प्रिया (तमिलनाडु, मरणोपरांत): 8 साल की उम्र में करंट लगे 6 साल के बच्चे की जान बचाते हुए अपनी जान गंवाई।
• कमलेश कुमार (बिहार, मरणोपरांत): दुर्गावती नदी में डूबते बच्चे को बचाते हुए जान गंवाई। पुरस्कार उनके पिता ने लिया।
• अजय राज (9 वर्ष, उत्तर प्रदेश): मगरमच्छ के हमले से पिता की जान बचाई।
• मोहम्मद सिद्दान (11 वर्ष, केरल): करंट से दो दोस्तों की जान बचाई।
• शिवानी होसरु उप्परा (17 वर्ष, आंध्र प्रदेश): दिव्यांग पैरा एथलीट, शारीरिक और आर्थिक बाधाओं को पार कर खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन।
• अनुष्का (14 वर्ष, झारखंड): फुटबॉल में शानदार प्रदर्शन।
• योगिता मंडावी (14 वर्ष, छत्तीसगढ़): नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अनाथ होने के बावजूद जूडो की नेशनल प्लेयर बनीं।
• पूजा (17 वर्ष, उत्तर प्रदेश): धूल-मुक्त थ्रेसर मशीन का आविष्कार, जो वायु प्रदूषण रोकने में मददगार।
इसके अलावा एक विजेता ने इनोवेशन कैटेगरी में लकवा ग्रस्त मरीजों के लिए दो AI आधारित सॉफ्टवेयर बनाए, जिन्हें सरकार ने पेटेंट भी दिया।
ये बच्चे बहादुरी, खेल, विज्ञान और नवाचार जैसे क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों से पूरे देश का सीना चौड़ा कर रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित इस पुरस्कार समारोह ने एक बार फिर साबित किया कि भारत का भविष्य युवा हाथों में सुरक्षित है।

