Vande Mataram completes 150 years: भारत सरकार ने देशभक्ति का प्रतीक और राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में वर्ष भर चलने वाले विशेष आयोजन की घोषणा की है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यह गीत स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा रहा है और युवा पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा देने के लिए इन उत्सवों का आयोजन आवश्यक है।
‘वंदे मातरम’ की रचना प्रसिद्ध बंगाली साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में की थी। यह कविता मूल रूप से उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ (1882) का हिस्सा थी, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ संन्यासियों के विद्रोह की कहानी बयान करती है। गीत में मातृभूमि को देवी के रूप में वर्णित किया गया है, जो देश की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और शक्ति का चित्रण करता है। इसका पहला छंद ‘सुजलां सुफलां मलयजशीतलां शस्यश्यामलां मातरम’ देश को एक पोषक और रक्षक मां के रूप में चित्रित करता है।
स्वतंत्रता आंदोलन में इस गीत ने क्रांतिकारियों को एकजुट किया। 1896 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार गाया। महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक जैसे नेताओं ने इसे अपना हथियार बनाया।
1905 के बंगाल विभाजन के विरोध में लाखों लोगों ने इसे नारा बनाया। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया, जो राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ के समकक्ष सम्मानित है। राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि दोनों को समान आदर दिया जाना चाहिए।
इस वर्ष के उत्सवों में स्कूलों, कॉलेजों, सांस्कृतिक केंद्रों और सार्वजनिक स्थानों पर सामूहिक गान, सेमिनार, प्रदर्शनियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होंगे। जनवरी 2025 में गोवा सरकार ने इसकी शुरुआत की, जहां मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में सभी शैक्षणिक संस्थानों में एक साथ पूरा गीत गाया गया। यह आयोजन गीत की रचना के 150वें वर्ष और राष्ट्रीय गीत घोषणा के 75वें वर्ष को चिह्नित करता है। केंद्रीय स्तर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय मिलकर कार्यक्रमों का समन्वय करेंगे।
वैष्णव ने कहा, “वंदे मातरम न केवल एक गीत है, बल्कि राष्ट्र जागरण का मंत्र है। श्री अरविंद ने इसे ‘नई भारत की रचना करने वाला मंत्र’ कहा था। इन उत्सवों से नई पीढ़ी को स्वतंत्रता सेनानियों की भावना से जोड़ा जाएगा।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह आयोजन सांस्कृतिक एकता को मजबूत करेगा और गीत के मूल संस्कृत-बंगाली रूप को संरक्षित रखेगा।
देशभर में 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय अवसरों पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे। सरकार ने राज्यों से भी स्थानीय स्तर पर योगदान की अपील की है। यह उत्सव भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर साबित होगा।
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