वैष्णो देवी भूस्खलन लाशों से गायब कीमती गहने, माता के दर्शन से पहले मौत की आगोश में समाए 34 यात्री, 19 शवों का अभी भी अपने परिजनों का इंतजार 

Vaishno Devi landslide news: जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मार्ग पर मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को हुए भीषण भूस्खलन ने 34 यात्रियों की जिंदगियां छीन लीं। इस त्रासदी में 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। गुरुवार तक 15 शवों को उनके परिजनों को सौंपकर उनके गंतव्य के लिए भेज दिया गया, जबकि 19 शव अभी भी जम्मू के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के शवगृह में अपने परिजनों के आने का इंतजार कर रहे हैं। इस दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है, और परिजनों का गम आंसुओं के साथ बयां हो रहा है।

शवों से गायब हुए सोने के गहने, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
जीएमसी जम्मू पहुंचे परिजनों ने शवों के साथ सोने के गहने और अन्य कीमती सामान गायब होने के आरोप लगाए हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, और अन्य राज्यों से आए तीमारदारों ने बताया कि कुछ शवों के पास केवल कपड़े और मामूली सामान मिला, जबकि सोने की चेन, ब्रेसलेट और अन्य आभूषण गायब हैं। राजस्थान के चीरू से आए एक परिजन ने कहा, “हमें सिर्फ एक घड़ी मिली, बाकी कुछ नहीं।” भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र रैना ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जांच की बात कही है।

श्राइन बोर्ड पर लापरवाही के आरोप
परिजनों और स्थानीय लोगों ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मौसम विभाग ने बार-बार भारी बारिश और खराब मौसम की चेतावनी दी थी, फिर भी पुराने 12 किलोमीटर के तीर्थ मार्ग पर यात्रा जारी रखी गई। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर सवाल उठाए और कहा, “जब हमें मौसम की चेतावनी मिली थी, तो यात्रियों को क्यों नहीं रोका गया? हमें इस पर गंभीरता से विचार करना होगा।” परिजनों ने कहा कि यदि बोर्ड ने समय रहते कदम उठाए होते, तो शायद यह हादसा टल सकता था।

हादसे का दर्दनाक मंजर
यह भूस्खलन मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे अर्धकुवारी के पास इंद्रप्रस्थ भोजनालय के नजदीक हुआ, जो कटरा से वैष्णो देवी मंदिर तक 12 किलोमीटर के तीर्थ मार्ग का मध्य बिंदु है। भारी बारिश के कारण पहाड़ी ढह गई, और पत्थरों, मलबे और बोल्डरों ने कई यात्रियों को अपनी चपेट में ले लिया। प्रत्यक्षदर्शी रमेश सिंह ने बताया, “यह किसी बम धमाके जैसा था। पहले एक शेड ढहा, फिर कुछ सेकंड बाद दूसरा। सब कुछ पलक झपकते हो गया।” इस हादसे में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा और झारखंड के यात्री मारे गए। मृतकों में महिलाएं, पुरुष, युवा और बच्चे भी शामिल हैं।

शवों की स्थिति और पहचान
जीएमसी जम्मू में 34 शवों में से 24 की पहचान हो चुकी है, जिनमें 14 महिलाएं हैं। आठ शवों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। जिन शवों को परिजनों को सौंपा गया, उनमें राजजी (पंजाब), नीरा वर्मा (उत्तर प्रदेश), चांदनी कश्यप (उत्तर प्रदेश), अरविंद कुमार सोनी (राजस्थान), गजानंद सोनी (राजस्थान), तनेश्वर कुमार (चंडीगढ़), अरिकेत संतोष कनोजिया (महाराष्ट्र), संदीप कुमार सोनी (राजस्थान), रामशरण (पंजाब), ममता (पंजाब), कार्तिकेय (उत्तर प्रदेश), रत्नि बाई गुर्जर (मध्यप्रदेश), सलोनी संतोष कनोजिया (महाराष्ट्र), फकीर चंद गुर्जर (मध्यप्रदेश), और अनिल कुमार सोनी (राजस्थान) शामिल हैं। बाकी शवों का पोस्टमार्टम शुक्रवार को परिजनों के पहुंचने के बाद किया जाएगा।

बचाव कार्य और राहत
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सेना, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवकों की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। कई घायलों को कटरा के नारायणा अस्पताल और जीएमसी जम्मू में भर्ती कराया गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मृतकों के परिजनों के लिए 6 लाख रुपये (4 लाख रुपये आपदा राहत कोष से और 2 लाख रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से) और घायलों के लिए 1 लाख रुपये (गंभीर रूप से घायल) और 50,000 रुपये ( मामूली चोट) की सहायता राशि की घोषणा की है। वहीं, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मृतकों के परिजनों के लिए 9 लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है।

प्रकृति का कहर और भविष्य की चिंता
यह हादसा जम्मू-कश्मीर में लगातार चार दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश और बाढ़ का हिस्सा है। तवी, चिनाब, और झेलम जैसी नदियों ने खतरे के निशान को पार कर लिया, जिससे कई इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन हुआ। मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। इस त्रासदी ने न केवल वैष्णो देवी यात्रा को प्रभावित किया, बल्कि क्षेत्र की बुनियादी संरचना को भी भारी नुकसान पहुंचाया है।
परिजनों का कहना है कि यह दुख उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा नुकसान है। एक परिजन ने कहा, “हमने उन्हें माता का आशीर्वाद लेने भेजा था, लेकिन अब हम उनके शव लेने आए हैं।” इस घटना ने श्राइन बोर्ड की तैयारियों और मौसम चेतावनियों के प्रति लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

यह भी पढ़े: सुप्रीम कोर्ट में दो नए जजों की नियुक्ति, जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विपुल पंचोली ने ली शपथ, हो रहा विवाद

यहां से शेयर करें