Uttar Pradesh:इन नेताओं पर हो चुके है हमले, सीएम योगी भी बचे थे बाल बाल

Uttar Pradesh: भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद पर 28 जून को हमला हुआ। इससे पहले भी कई नेताओं पर हमले हो चुके है। सीएम योगी भी हमले में बाल बाल बचे थे। चंद्रशेखर आजाद को गोली उनके कमर को छूती हुई गाड़ी की सीट के आर-पार हो गई।कुध्द ही घंटों बाद पुलिस ने सहारनपुर से हमले में इस्तेमाल स्विफ्ट कार बरामद कर ली। हमलावर पुलिस की पकड़ में हैं। इससे पहले भी जब नेताओं पर दिनदहाड़े हमले हो चुके है। इसके पहले भी नेताओं के काफिले पर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई है। जिनकी किस्मत अच्छी थी वह बच गए, जिनके दिन बुरे निकले उनके शरीर से 19 गोलियां निकलीं।

नेताओं पर फायरिंग कभी वर्चस्व को स्थापित करने के लिए तो कभी समाज में डर पैदा करने के लिए हुई। जिन्होंने फायरिंग की वह सांसद-विधायक तक बने। जिनपर फायरिंग हुई वह भी मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक बने।
बता दें कि चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण बुधवार शाम अपने वकील दोस्त अजय की मां को श्रद्धांजलि देने देवबंद पहुंचे थे। दो दिन पहले ही अजय की मां का निधन हुआ था। चंद्रशेखर वहां से निकलकर गाड़ी में बैठे ही थे कि पीछे से स्विफ्ट कार आई। कार में कुल चार युवक थे। चंद्रशेखर की फॉर्चूनर पर फायरिंग कर दी। अचानक हुई फायरिंग से बचने के लिए चंद्रशेखर बाएं घूम गए। एक गोली गाड़ी के गेट को चीरते हुए चंद्रशेखर के कमर को छूकर सीट के आर-पार हो गई। इसके बाद 3 और गोलियां चलीं। चंद्रशेखर बाल बाल बच गए।

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4 राउंड की फायरिंग के बाद हमलावर वहां से 7 किलोमीटर दूर मिलकपुर गांव पहुंचे। यहां गाड़ी को छोड़ा और फरार हो गए। पुलिस ने गाड़ी बरामद कर दी। नंबर के आधार पर गाड़ी किसी विकास कुमार के नाम से बताई जा रही। पुलिस ने शनिवार को इस मामले में 4 आरोपियों को हरियाणा के अंबाला से गिरफ्तार कर लिया। सारी प्लानिंग रोहतक में रची गई। यहां हमलावरों को कार दी गई। एसएसपी विपिन ताडा ने इस पूरे मामले का खुलासा किया।चंद्रशेखर फिलहाल ठीक हैं। हॉस्पिटल से निकलने के बाद उन्होंने कहा, ष्मैंने कई बार गृहमंत्री, सीएम, डीजीपी और पुलिस को पत्र लिखकर बताया कि मेरे साथ इस तरह की घटना हो सकती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमले में सफेदपोश और खाकी के लोग शामिल थे, जांच होने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

26 जुलाई 2008 की शाम 6 बजकर 45 मिनट पर अहमदाबाद के मणिनगर बाजार में बम धमाके हुए। 2 सेकेंड में 8 जिंदा लोग झुलसकर मर गए। इसके बाद अगले 70 मिनट में 21 धमाके हुए। हर बड़ी मार्केट में लाशें बिछ गई। इसीलिए योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ पहुंचने की तैयारी में लग गए। 7 सितंबर 2008 को हिंदू युवा वाहिनी ने आजमगढ़ के डीएवी कॉलेज में आतंकवाद विरोधी रैली बुलाई। योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि थे। प्रशासन ने पहले रोकने की कोशिश की, मगर बाद में परमिशन दे दी। आदित्यनाथ 40 गाड़ियों के काफिले के साथ आजमगढ़ रवाना हुए। पीडब्लूडी गेस्ट हाउस पहुंचे। योगी की गाड़ी काफिले में 7वें नंबर पर थी, लेकिन अनहोनी की आशंका थी इसलिए गाड़ी 1 नंबर पर आ गई। 1 बजकर 20 मिनट पर काफिला तकिया इलाके से गुजरा तभी कुछ बाइक और गाड़ियां बराबर पर चलने लगीं। एक पत्थर काफिले में 7वें नंबर पर चल रही गाड़ी पर आकर लगा। पीछे की गाड़ियां रुक गई। आगे की सभी 6 तेजी से आगे बढ़ती चली गई।

पीछे की गाड़ियों पर पत्थर और पेट्रोल बम चलने लगा। इसी बीच रजादेपुर मठ के महंत शिवहर्ष भारती की गाड़ी का शीशा तोड़कर चाकू मार दिया गया। भीड़ योगी आदित्यनाथ को खोज रही थी, लेकिन वह नहीं मिले। मौके पर पहुंची पुलिस ने हिंसा रोकने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। 18 साल के मनीउल्लाह की मौत हो गई। उस समय मायावती की सरकार थी, उन्होंने एसपी विजय गर्ग को सस्पेंड कर दिया। योगी रैली में पहुंचे, अबु बशीर की गिरफ्तारी और आतंकवाद पर भाषण दिया। अपने काफिले पर हुए हमले के बारे में एक शब्द नहीं बोला।

और जब मुलायम ने कहा- चिल्लाओ नेताजी मर गए
4 मार्च 1984 दिन रविवार का था। मुलायम सिंह यादव इटावा और मैनपुरी में रैली में जा रहे थेे। मैनपुरी में अपने एक दोस्त से मिले। मुलाकात के बाद करीब 1 किलोमीटर ही आगे चले कि गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई। गोली मारने वाले छोटेलाल और नेत्रपाल नेताजी की गाड़ी के सामने कूद गए। छोटेलाल नेताजी के ही साथ चलता था इसलिए उसे पता था कि वह गाड़ी में किधर बैठे हैं। छोटेलाल ने 9 गोलियां गाड़ी के उस साइड पर चलाई जिधर नेताजी बैठते थे। फायरिंग के बीच गाड़ी सूखे नाले में गिर गई। नेताजी ने अपने लोगों से कहा कि चिल्लाओ की नेताजी मर गए। समर्थक चिल्लाने लगे की नेताजी की हत्या हो गई। हमलावरों को लगा कि उन्होंने मुलायम सिंह को मार दिया। वह वहां से भागने लगे। तभी पुलिस की एक गोली छोटेलाल को लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। दूसरा हमलावर नेत्रपाल पुलिस की गोली से घायल हो गया। इस हमले के बाद मुलायम सिंह की सुरक्षा बढ़ा दी गई।

चंद्र शेखर आजाद पर हमला करने वाले अंबाला से पकड़े

विधायक वीरेंद्र शाही पी हुआ था हमला
पूर्वांचल के बाहुबलियों में गिने जाने वाले विधायक वीरेंद्र शाही पर भी हमला हुआ था। हरिशंकर तिवारी से उनकी दुश्मनी जगजाहिर थी। श्रीप्रकाश शुक्ला की वीरेंद्र शाही से सीधी दुश्मनी थी। 1997 तक उसने करीब 20 से ज्यादा हत्याएं कर दी थी। एक दिन उसे मौका मिल गया। वीरेंद्र लखनऊ के इंदिरानगर में अपनी कथित प्रेमिका को किराए पर कमरा दिखाने के लिए ले जा रहे थे। प्रेमिका के बारे में किसी को पता न चले इसलिए गनर और ड्राइवर को घर पर ही रहने को कह दिया था। इसकी भनक श्रीप्रकाश को लग गई। श्रीप्रकाश पहुंचा और वीरेंद्र पर फायरिंग झोंक दी। मौके पर ही विधायक की मौत हो गई। इस खबर के बाद श्रीप्रकाश का इतना दबदबा बढ़ गया कि हरिशंकर तिवारी जैसे बाहुबली भी एक-एक करके रेलवे के सारे ठेके उसके लिए छोड़ने लगे।

खनन विवाद में हुई हत्या
जवाहर पंडित मुलायम सिंह के खास थे। बालू खनन को लेकर उनका विवाद करवरिया खानदान से हो गया। जिसका दुखद अंत प्रयागराज के सिविल लाइंस में हुआ।
शादी में जा रहे विधायक की हत्या
10 फरवरी 1997, फर्रुखाबाद के तत्कालीन विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी शहर कोतवाली क्षेत्र के एक शादी समारोह में जा रहे थे। रास्ते में गाड़ी पर फायरिंग हो गई। गनर बीके तिवारी की मौके पर ही मौत हो गई। ब्रह्मदत्त को लेकर लोग हॉस्पिटल भागे। वहां पहुंचे तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। उस वक्त ब्रह्मदत्त के अंतिम संस्कार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए।

मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। 17 जुलाई 2003 को सीबीआई कोर्ट ने गैंगस्टर संजीव महेश्वरी और सपा के पूर्व विधायक विजय सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे, 2017 में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। 7 जून को लखनऊ कोर्ट के अंदर संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

कृष्णानंद राय की गाड़ी के चारों तरफ से हुई थी फायरिंग
मुख्तार अंसारी नहीं चाहता था कि कोई उसके गढ़ में दूसरा कोई बढ़े। कृष्णानंद राय की जिस दिन हत्या हुई उस दिन वह बुलेट प्रूफ गाड़ी के बजाय नॉर्मल गाड़ी में थे। ग्राफिक से पूरी घटना समझिए।

मंत्री नंद गोपाल नंदी पर रिमोट बम से हुआ हमला
12 जुलाई 2010, भाजपा सरकार के मौजूदा मंत्री नंद गोपाल नंदी उस वक्त बसपा सरकार में मंत्री थे। अपने घर मुट्ठीगंज से करीब 1 किलोमीटर दूर मंदिर में पूजा करने जा रहे थे। मंदिर पहुंचकर गाड़ी से उतरे ही थे कि पास खड़ी स्कूटी में रखे बम को रिमोट से उड़ा दिया गया। धुएं का गुबार उठा। धुआं छटा तो नंदी के बगल दो लोगों की लाश पड़ी थी। आसपास मौजूद जानवरों की मांस के हिस्से दीवार में जाकर चिपक गए। नंदी का पेट फट गया। हथेली के चीथड़े उड़ गए। अस्पताल पहुंचाया गया, 8 दिन तक उन्हें होश नहीं आया।

 

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर 3 फरवरी 2022 को हमला हुआ। चार गोलियां चलीं, लेकिन ओवैसी बाल-बाल बच गए। मुख्तार अंसारी पर 2002 में हमला हुआ। उस वक्त वह दूसरी गाड़ी में बैठा था। रायबरेली के पूर्व कांग्रेस विधायक अखिलेश सिंह पर कई बार हमले हुए लेकिन हर बार वह बच गए। 17 नवंबर 2022 को बलिया के पूर्व विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल पर हमला हो गया। फायरिंग हुई लेकिन वह बच गए।

कुल मिलाकर हमने 16 नेताओं पर हमले की घटना बताई। इसमें 5 विधायक सहित 8 लोगों की मौत हो गई। 8 लोग ही बच गए। जो बचे उनमें दो मुख्यमंत्री बने, एक मंत्री और एक विधायक बने। ज्यादातर हमले सियासत के चलते हुए। लेकिन एक बात जिस पर किसी की नजर नहीं वह यह कि जिन्होंने हमला किया उसमें ज्यादातर उसी तरह से मारे गए।

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