Uttar Pradesh News: सीएमओ की मृत्यु के 11 साल बाद, अंबेडकरनगर में बंद सरकारी आवास से 22.48 लाख रुपये के पुराने नोट बरामद

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां 11 साल से बंद पड़े एक सरकारी आवास से 22 लाख 48 हजार 505 रुपये के पुराने नोट बरामद किए गए है। ये नोट पूर्व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) और कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. ब्रह्मनारायण तिवारी के सरकारी आवास से मिले, जिनकी मृत्यु 29 जनवरी 2014 को संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई थी।

यह घटना अंबेडकरनगर के मीरानपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) परिसर में स्थित सरकारी आवास में हुई। बरामद नकदी में 1000 रुपये के 776 नोट (7,76,000 रुपये), 500 रुपये के 2945 नोट (14,72,500 रुपये), और एक 5 रुपये का सिक्का शामिल है। कुल राशि 22,48,505 रुपये है। ये सभी नोट 2016 की नोटबंदी के बाद अमान्य हो चुके 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट हैं। नोट बिस्तर के नीचे और सूटकेस में छिपाकर रखे गए थे। कुछ नोट की बरामदगी अलमारी से भी की गई है ।
वर्तमान सीएमओ डॉ. संजय कुमार शैवाल के निर्देश पर पीएचसी मीरानपुर में चिकित्सा अधिकारियों के चार आवासों की मरम्मत शुरू की गई थी। इसी दौरान डॉ. तिवारी का बंद आवास खोला गया।
डॉ. ब्रह्मनारायण तिवारी, डॉ. तिवारी मूल रूप से प्रतापगढ़ के रामगढ़ा गांव के निवासी थे। वे 28 अगस्त 2007 से अंबेडकरनगर में एसीएमओ के पद पर तैनात थे और 2014 में कार्यवाहक सीएमओ भी थे। उनकी मृत्यु 2014 में उनके सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी।
डॉ. तिवारी की मृत्यु के बाद उनके परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद हो गया। उनके भतीजों, भानु प्रताप और शशांक, के बीच विवाद के कारण पुलिस ने कमरे को सील कर दिया था। तब से यह आवास 11 साल तक बंद रहा। डॉ. तिवारी ने अपनी सर्विस बुक में किसी आश्रित या परिजन का नाम दर्ज नहीं किया था। इसी कारण उनकी मृत्यु के बाद उनका फंड सरकारी खाते में जमा हो गया, और परिवार को न तो अनुकंपा नौकरी मिली न ही कोई आर्थिक सहायता।
कमरे का ताला वीडियोग्राफी के बीच खोला गया, और नोटों की गिनती भी कैमरे के सामने की गई। बरामद नकदी को सुरक्षित रखने के लिए जिला कोषागार में जमा कराया गया, क्योंकि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अकबरपुर शाखा ने पुराने नोट होने के कारण इसे जमा करने से मना कर दिया।
सीएमओ ने प्रमुख सचिव, महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं), अतिरिक्त निदेशक (एडी), जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी और बरामद राशि को राजकीय कोष में जमा करने का अनुरोध किया गया है। पुलिस, आयकर विभाग, और शासन को भी सूचित किया गया।

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