Noida Authority: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों, जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) और उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के लिए लाई गई यूनिफाइड पॉलिसी (एकीकृत नीति) का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्रों में व्यावसायिक सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) को बढ़ाना। हालांकि इससे कुछ उद्यमियों को नुकसान भी हो रहा है। अफसरों के अनुसार निवेशकों को आकर्षित करना और विभिन्न प्राधिकरणों के नियमों में एकसमानता लाना है। इस नीति के लागू होने से निवेशकों को विभिन्न प्राधिकरणों के भिन्न-भिन्न नियमों के जाल से मुक्ति मिलती है और उन्हें एक ही प्राधिकरण से दूसरे में जाने पर अलग नियमों का पालन नहीं करना पड़ता, जिससे प्रक्रियाएं सरल, पारदर्शी और तेज होती हैं। यह एकीकृत नीति मुख्यतः भूखंडों के आवंटन, लीज डीड (पट्टा प्रलेख) से संबंधित प्रावधानों, भवन उपनियमों (बिल्डिंग बायलॉज) और आवंटन के बाद की सेवाओं के निस्तारण में एकरूपता सुनिश्चित करती है। इसका सीधा लाभ उन उद्यमियों को मिलता है जो उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में निवेश करना चाहते हैं। नए प्रावधानों का समावेशयूनिफाइड पॉलिसी में कई नए प्रावधान शामिल किए गए हैं जो निवेशकों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हैं और पुरानी जटिलताओं को दूर करते हैं।
ये हुए है बदलाव
सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक है समान फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को लागू करना। पहले विभिन्न प्राधिकरणों में एफएआर अलग-अलग होता था, लेकिन अब यूपीसीडा का एफएआर भी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा जैसे अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के समतुल्य किया गया है। एफएआर बढ़ने से उद्यमियों को अपनी औद्योगिक इकाइयों में अधिक निर्माण की अनुमति मिलती है, जिससे वे जमीन के निवेश को अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाते हैं और कम जमीन में अधिक उत्पादन क्षमता स्थापित कर सकते हैं। यह प्रावधान न केवल औद्योगिक भूखंडों के लिए है, बल्कि स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों जैसे संस्थागत भूखंडों के संचालकों को भी अधिक सहूलियत प्रदान करता है। इसके अलावा, नीति में लीज डीड में उल्लिखित प्रावधानों के साथ-साथ प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का निस्तारण भी यूनिफाइड पॉलिसी के अनुसार ही सुनिश्चित किया गया है। भूखंडों की कार्यशीलता (फंक्शनैलिटी) संबंधी अधिनियम के परिप्रेक्ष्य में भी नए और स्पष्ट प्रावधान जोड़े गए हैं, जिससे भूखंडों के उपयोग और उससे संबंधित अनुमतियों की प्रक्रिया पारदर्शी हो सके।
होगा भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और पारदर्शिता
इसका उदेश्य एक भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और पारदर्शिता बढ़ाना है। यूनिफाइड बिल्डिंग बायलॉज होने से अधिकारी नियमों का हवाला देकर निवेशकों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं कर पाएंगे, क्योंकि नियम सभी प्राधिकरणों में एक जैसे होंगे। यह नीति औद्योगिक भूखंडों के हस्तांतरण (ट्रांसफर) शुल्क जैसी प्रक्रियाओं में भी एक नई और सरल व्यवस्था बनाने की दिशा में काम करती है, जिसका उद्देश्य अनावश्यक शुल्क और प्रक्रियाओं को कम करना है। इन सभी उपायों से प्रदेश में निवेश का माहौल अधिक आकर्षक और भरोसेमंद बनेगा, जो उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के लक्ष्यों के अनुरूप है।
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