US Tariffs: भारतीय शेयर बाजार में हड़कंप, सेंसेक्स 800 अंक टूटा, निफ्टी 24,650 के नीचे

US Tariffs : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 1 अगस्त 2025 से 25% टैरिफ लगाने की घोषणा का असर गुरुवार सुबह भारतीय शेयर बाजार पर साफ दिखाई दिया। कारोबार की शुरुआत से ही भारी बिकवाली के दबाव में बाजार धराशायी हो गया। बीएसई सेंसेक्स लगभग 800 अंकों की गिरावट के साथ 80,613.51 पर आ गया, जबकि एनएसई निफ्टी 50 भी 250 अंकों से अधिक फिसलकर 24,600 के स्तर के नीचे कारोबार कर रहा था।

किन सेक्टर्स पर पड़ा असर?
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ का सबसे अधिक प्रभाव ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न और आभूषण जैसे निर्यात-निर्भर सेक्टर्स पर पड़ने की आशंका है। सिटी रिसर्च के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि इस टैरिफ से भारत को सालाना लगभग 7 अरब डॉलर (करीब 61,000 करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। ऑटो कंपोनेंट्स, जिनका अमेरिका को निर्यात 6-7 अरब डॉलर है, और टेक्सटाइल व ज्वेलरी सेक्टर, जिनका निर्यात 9-14 अरब डॉलर है, विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

ट्रंप की नीति और भारत पर आरोप
ट्रंप ने भारत की व्यापार नीतियों को सख्त और आपत्तिजनक बताते हुए इस टैरिफ को “रेसिप्रोकल टैरिफ” करार दिया है। उनका कहना है कि भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए उच्च शुल्क के जवाब में यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा, भारत के रूस के साथ बढ़ते रक्षा और ऊर्जा संबंधों को भी ट्रंप ने इस फैसले का कारण बताया। हालांकि, उन्होंने संकेत दिए हैं कि व्यापार वार्ता के जरिए इस टैरिफ को कम करने की संभावना पर विचार किया जा सकता है।

बाजार में अनिश्चितता का माहौल
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यह टैरिफ भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर सकता है, खासकर वियतनाम (20% टैरिफ) और इंडोनेशिया (19% टैरिफ) जैसे देशों की तुलना में। इससे भारतीय कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बढ़ेगा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उनकी हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है।

निवेशकों की प्रतिक्रिया और सरकार की चुप्पी
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने हाल के दिनों में भारतीय बाजार से भारी निकासी की है, जिसने बाजार की गिरावट को और बढ़ावा दिया। सोमवार को ही FII ने 1,979.96 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। विपक्ष ने सरकार पर इस मुद्दे पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है, जबकि विशेषज्ञ भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के लिए तत्काल बातचीत की वकालत कर रहे हैं। अर्थशास्त्री राहुल अहलूवालिया ने कहा, “यह टैरिफ भारत की जीडीपी को 0.2% से 0.5% तक प्रभावित कर सकता है। व्यापार समझौता ही लंबी अवधि में प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रख सकता है।”

आगे की राह
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (FIEO) के डीजी डॉ. अजय सहाय ने सरकार से अमेरिका के साथ तत्काल कूटनीतिक बातचीत शुरू करने की अपील की है ताकि इस संकट को कम किया जा सके। दूसरी ओर, फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे कुछ सेक्टर्स को इस टैरिफ से छूट दी गई है, जिससे इन क्षेत्रों में राहत की उम्मीद है।

जैसे-जैसे यह व्यापार युद्ध गहराता जा रहा है, निवेशकों और कारोबारियों की नजर भारत सरकार और अमेरिका के बीच होने वाली व्यापार वार्ता पर टिकी है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टैरिफ लंबे समय तक लागू रहा, तो भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।

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