रिपोर्ट का शीर्षक है ‘मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वॉल्विंग द पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना 2025’। इसे 23 दिसंबर 2025 को अमेरिकी कांग्रेस को सौंपा गया। रिपोर्ट में उल्लेख है कि अक्टूबर 2024 में भारत और चीन ने LAC पर शेष टकराव वाले स्थलों से सैनिकों की वापसी (डिसएंगेजमेंट) पर समझौता किया था। यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात से दो दिन पहले हुआ था।
इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच मासिक उच्च-स्तरीय वार्ताएं शुरू हुईं, जिनमें सीमा प्रबंधन, प्रत्यक्ष उड़ानें, वीजा सुविधा तथा शिक्षाविदों और पत्रकारों के आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है:
“चीन संभवतः LAC पर कम हुए तनाव का लाभ उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करना चाहता है और अमेरिका-भारत संबंधों को गहरा होने से रोकना चाहता है। हालांकि, भारत संभवतः चीन के इरादों और कार्रवाइयों को लेकर संशय में बना हुआ है। आपसी अविश्वास और अन्य मुद्दे लगभग निश्चित रूप से द्विपक्षीय संबंधों को सीमित करते रहेंगे।”
रिपोर्ट में चीन की राष्ट्रीय रणनीति का भी जिक्र है, जिसमें 2049 तक “चीनी राष्ट्र के महान पुनरोद्धार” का लक्ष्य रखा गया है। इसमें चीन तीन “कोर इंटरेस्ट” (मुख्य हित) मानता है — चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण, आर्थिक विकास और संप्रभुता एवं क्षेत्रीय दावों की रक्षा। इनमें ताइवान, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप और भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश को शामिल किया गया है।
अमेरिकी रिपोर्ट में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में चीन के साथ संबंधों को “कई वर्षों में सबसे मजबूत” बताया गया है। इसमें जोर दिया गया है कि अमेरिका चीन को दबाना, वर्चस्व जमाना या अपमानित करना नहीं चाहता, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मजबूत प्रतिरोधक क्षमता (डिटरेंस) के जरिए शांति बनाए रखना चाहता है।
यह रिपोर्ट दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बाद संबंधों में सुधार के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, हालांकि आपसी अविश्वास बना हुआ है।

