यूपीएससी का 100वां स्थापना दिवस, मेरिट, सेवा और राष्ट्र-निर्माण की सदी का उत्सव

UPSC’s 100th Foundation Day: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने आज अपने 100वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक वर्षीय शताब्दी समारोह का शुभारंभ किया। 1 अक्टूबर 1926 को स्थापित इस प्रतिष्ठित संस्था ने भारत की सिविल सेवाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह समारोह 1 अक्टूबर 2026 तक चलेगा, जिसमें सुधारों, कार्यक्रमों और विशेष पहलों के माध्यम से यूपीएससी की विरासत को सम्मानित किया जाएगा।

यूपीएससी की स्थापना भारत सरकार अधिनियम 1919 और ली आयोग (1924) की सिफारिशों के आधार पर हुई थी, जिसका उद्देश्य उच्च सिविल सेवाओं के लिए एक स्वतंत्र भर्ती निकाय स्थापित करना था। शुरू में इसे ‘पब्लिक सर्विस कमीशन’ नाम दिया गया, जो 1937 में ‘फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन’ बना। स्वतंत्र भारत के संविधान के अपनाने के साथ 26 जनवरी 1950 को इसे ‘संघ लोक सेवा आयोग’ का नाम मिला। पिछले एक सदी में यूपीएससी ने भारतीय प्रशासनिक ढांचे को आकार दिया है, जिसमें आईएएस, आईएफएस और आईपीएस जैसी सेवाओं के लिए मेरिट-आधारित चयन प्रक्रिया प्रमुख रही है।

समारोह का उद्घाटन एक विशेष लोगो और टैगलाइन के लॉन्च के साथ हुआ, जो यूपीएससी की राष्ट्र-सेवा को प्रतिबिंबित करता है। आयोग ने भर्ती और परीक्षा प्रक्रियाओं में व्यापक सुधारों की घोषणा की है, जो निष्पक्षता, दक्षता और पहुंच को बढ़ाने पर केंद्रित हैं। कर्मचारियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर ये सुधार लागू किए जाएंगे, ताकि संस्था के सदस्यों को भी उत्सव का अभिन्न हिस्सा बनाया जा सके। इसके अलावा, सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से यूपीएससी की राष्ट्र-निर्माण में योगदान को उजागर किया जाएगा।

आज दोपहर 12 से 1 बजे तक यूपीएससी के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के साथ एक लाइव सत्र आयोजित किया गया है, जहां अभ्यर्थियों ने #AskChairmanUPSC हैशटैग के जरिए सवाल पूछ सकते है। यह पहल अभ्यर्थियों को आयोग से सीधा संवाद करने का अवसर प्रदान करती है। सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ताओं ने इस ऐतिहासिक क्षण का स्वागत किया। शंकर आईएएस अकादमी ने ट्वीट किया, “एक सदी का मेरिट, सेवा और राष्ट्र-निर्माण – अब आपकी बारी है अगला अध्याय लिखने की।” एक अन्य पोस्ट में उपयोगकर्ता ने कहा, “यूपीएससी: चार अक्षर जो आशा का प्रतीक हैं।”

यह शताब्दी वर्ष न केवल यूपीएससी की पारदर्शिता, निष्पक्षता और मेरिटोक्रेसी की विरासत का जश्न है, बल्कि भावी सुधारों के लिए आत्म-मंथन का अवसर भी है। आयोग का मानना है कि अगले 100 वर्षों में यह संस्था बदलते प्रशासनिक जरूरतों के अनुरूप अनुकूलित होकर संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, ये पहल युवा अभ्यर्थियों को प्रेरित करेंगी और भारत की ‘स्टील फ्रेम’ को और मजबूत बनाएंगी।
यूपीएससी के इस मील के पत्थर पर पूरे देश का ध्यान केंद्रित है, जो न केवल एक संस्था का उत्सव है, बल्कि लोकतांत्रिक भारत की प्रशासनिक मजबूती का प्रतीक भी।

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