जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हंगामा: विपक्ष के विधायकों ने बाढ़ प्रभावितों के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा

Jammu and Kashmir Assembly News: जम्मू-कश्मीर विधानसभा का सत्र गुरुवार को विपक्षी दलों के हंगामे से गूंज उठा। भाजपा विधायकों ने हाल ही में हुई भारी बारिश से उत्पन्न बाढ़ के प्रभावों और राहत व पुनर्वास के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर सदन में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हंगामे के दौरान तीन भाजपा विधायकों को सदन से मार्शल कर बाहर निकाला गया, जिससे प्रश्नकाल पूरी तरह बाधित हो गया।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने स्पीकर अब्दुल रहीम राथर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, खासकर किश्तवाड़ और जम्मू डिवीजन के अन्य हिस्सों में फंसे पीड़ितों की स्थिति पर तत्काल चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि अगस्त माह की भारी वर्षा से पूरे संघ राज्य क्षेत्र में तबाही मच गई है और सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे से भाग रही है। शर्मा ने आरोप लगाया कि बाढ़ पीड़ितों का अपमान हो रहा है और सदन का पहला दिन ही इस चर्चा के लिए समर्पित होना चाहिए था।

भाजपा विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। वे “जम्मू के साथ इंसाफ करो, इंसाफ करो” के नारे लगाते हुए स्पीकर के आसन के समक्ष पहुंच गए। हंगामा इतना बढ़ गया कि किश्तवाड़ से भाजपा विधायक शगुन परिहार सदन के कुएं में उतरने की कोशिश करने लगीं, लेकिन महिला सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक लिया। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “चोर मचाए शोर”, जबकि एनसी विधायक सलमान सागर ने भाजपा से 2014 से 2024 तक की अपनी सरकार के कार्यकाल का हिसाब मांगा।

स्पीकर राथर ने गुस्से में विपक्षी विधायकों को फटकार लगाई और कहा, “बोलते रहो, बोलते रहो; हम प्रश्नकाल जारी रखेंगे।” लेकिन हंगामा थमने का नाम न लेने पर सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित होती रही। आखिरकार, तीन भाजपा विधायकों को मार्शल द्वारा बाहर ले जाया गया। स्पीकर ने विपक्ष को आश्वासन दिया कि भ्रष्टाचार और बाढ़ राहत के मुद्दों पर अलग से चर्चा का समय दिया जाएगा।

बाढ़ से हुए नुकसान पर सरकार ने सोमवार को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में 209 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान जताया था। अधिकारियों के अनुसार, केंद्र सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भेजकर वित्तीय सहायता की मांग की जाएगी। विपक्ष का कहना है कि हर कोने में बाढ़ का प्रकोप हुआ है, लेकिन राहत कार्यों में क्षेत्रीय भेदभाव हो रहा है। भाजपा ने शिक्षा विभाग में भी जम्मू क्षेत्र के कर्मचारियों के तबादलों में कथित भेदभाव का आरोप लगाया, जिससे हंगामा और भड़क गया।

यह घटना जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सत्र की शुरुआत में ही क्षेत्रीय असंतुलन और प्राकृतिक आपदा से निपटने के मुद्दों को उजागर करती है। विपक्ष का प्रदर्शन जारी रहने से सत्र की अन्य कार्यवाहियां प्रभावित हुई हैं।

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