UP Top News: गंगा के तटवर्ती 124 गांवों के सात हज़ार रक़बे में पंरपरागत खेती योजना की गयी संचालित

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UP Top News:  अमरोहा: उत्तर प्रदेश में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अमरोहा के चयनित 124 गांवों के 07 हज़ार हेक्टेयर रक़बे में पंरपरागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है। कृषि उपनिदेशक डॉ राम प्रवेश ने रविवार को बताया कि फ़सलों के उत्पादन में उर्वरकों, पेस्टीसाइड कीटनाशक हानिकारक रसायनों के अंसतुलित प्रयोग की वज़ह से खेतों में उत्पादित अनाज़ , दाल, तिलहन,फल, सब्जियों तथा मछली आदि में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायनों की मात्रा बढ़ने से पशु एवं मानव जीवन को कई प्रकार की बीमारियों एवं विकार उत्पन्न हो रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि त्वचा की एलर्जी,लीवर , किड़नी, फेफड़ों आदि अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। खेती की ज़मीन और भूजल प्रदूषण की चपेट मे आ चुके हैं, गांवों में कैंसर जैसी लाइलाज घातक बीमारियां पैर पसार चुकी है, अलग-अलग बीमारियों से ग्रामीणों के साथ पशु-पक्षी भी अछूते नहीं हैं। पशुओं की संख्या घटने एवं हरी खाद के प्रयोग में कमी होने के कारण मृदा में जैविक कार्बन की मात्रा भी लगातार घटती जा रही है, जिससे फ़सल उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।

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कृषि उपनिदेशक ने कहा कि फ़सलों की उत्पादकता बनाए रखने के साथ स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता क़ायम रहे इसके लिए पंरपरागत, प्राकृतिक व जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के तटीय गांवों में कृषि विकास योजना चलाई जा रही है। इसी योजना के तहत जनपद अमरोहा के 124 गांवों के 07 हज़ार एक सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में 20-20 हेक्टेयर के 355 कलस्टर तथा परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 20 कलस्टर का गठन 400 हैक्टेयर क्षेत्रफल के लिए चयनित किया गया है।

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प्रत्येक कलस्टर में जैविक खेती के प्रोत्साहन हेतु आवश्यक निवेश, स्प्रे मशीन,बीज,हरी खाद,बेसन, गुड़,ड्रम, बाल्टी,मग्गा आदि ख़रीद पर प्रति एकड़ क्रमशः प्रथम वर्ष चार हज़ार 800 रुपये, द्वितीय वर्ष में चार हज़ार रुपये तथा तृतीय वर्ष में तीन हज़ार 600 रुपये का अनुदान कृषकों को डीबीटी के ज़रिए भुगतान किया जाएगा। ख़रीदे गए उक्त सामान का प्रयोग कृषकों द्वारा जीवामृत, बीजामृत, धन जीवामृत,दशपर्णी अर्क़,अग्नि अस्त्र तैयार कर जैविक खेती में किया जाएगा। उक्त विधि से खेती करने वाले किसानों को तीन वर्षों का पीजीएस सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। किसानों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से देशभर के कृषि संस्थानों, फार्मों आदि का अध्ययन भ्रमण कराया जाएगा। प्रसंस्करण, पैकेजिंग, मार्केटिंग आदि की जानकारी के साथ ही कृषकों को एफपीओ के माध्यम से प्रसंस्करण इकाई की स्थापना करने पर अनुदान एवं वन स्टाप, शाप के निर्माण पर स्पेस रेंट एवं उत्पादों को बिक्री स्थल तक लाने व ले जाने हेतु वाहन किराया आदि का भुगतान किया जाएगा। उत्पाद बिक्री हेतु विकास भवन अमरोहा में बिक्री केंद्र खोला जाएगा।

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