UP News: लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने मंगलवार को कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब डा भीमराव आंबेडकर के संदर्भ में कांग्रेस के नजरिये संबधित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान सफेद झूठ है। श्री राय ने आज दोपहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेस कांफ्रेंस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि मुख्यमंत्री योगी का बयान सफेद झूठ के अलावा और कुछ नहीं हो सकता कि कांग्रेस डा.अम्बेडकर का अपमान करती रही और पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि अंबेडकर संविधान सभा में या संसद में आयें और मंत्रिमंडल में रहें। इस सरासर झूठ की जितनी निंदा की जाय, कम होगी।
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उन्होने कहा कि अम्बेडकरजी बंगाल विधानसभा से संविधान सभा में चुने गये थे, पर उनकी विधानसभा सीट पूर्वी पाकिस्तान में चले जाने पर वह संविधान सभा सदस्य ही नहीं रह गये थे। आजादी बाद संविधानसभा की प्रारूप समिति बननी थी तो उस पर परामर्श के लिये पं.नेहरू, सरदार पटेल दिल्ली में बिड़ला मंदिर के पीछे की दलित बस्ती में गये, जहां उन दिनों बापू रहा करते थे। वहां बैठक में डा. अम्बेडकर का नाम तय हुआ। तब डा. अंबेडकर को पहले सदन में लाना जरूरी था। नेहरू ने पूना के एम. आर. जयकर जी को संविधान सभा से त्यागपत्र दिलाकर सीट खाली कराई। उस पर बम्बई प्रांत विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में डा.अंबेडकर संविधानसभा के लिये सदस्य चुने गये। आगे जब प्रारूप समिति बनी तो उन्हें सदस्य रखा गया। ऐसी महत्वपूर्ण संसदीय समितियों का अध्यक्ष बहुमत दल सदस्य हुआ करता है और लोग अनुमान लगा रहे थे कि कांग्रेस से कौन बनेगा, लेकिन जब पं. नेहरू ने विपक्ष से जुड़े अम्बेडकर जी को अध्यक्ष बनाने की घोषणा की, तो औरों के साथ अंबेडकर जी भी चौंके थे। डा.अंबेडकर जी ने बहुमत दल कांग्रेस और सदन के नेता पं.नेहरू से कंधा मिला कर भारत में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का संविधान गढ़ने का महान कार्य किया।
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उन्होने कहा “ योगी जी जैसा जड़मति नेता ही नेहरू जी एवं कांग्रेस द्वारा द्वारा अंबेडकर जी की प्रतिभा के उस सम्मान एवं संविधान सभा में उनके इस सर्वोतम सदुपयोग को या उनको कानून मंत्री बनाने के ऐतिहासिक महत्व को नकारने एवं सम्मान की जगह अपमान बताने का काम कर सकता है।”
श्री राय ने कहा “ कानून मंत्री डा अंबेडकर हिन्दू कोड बिल के आर्कीटेक्ट थे, जिसका हिन्दू महासभा, आरएसएस, रामराज्य परिषद् जैसे हिन्दूवादी संगठनों ने संसद से सड़क तक घोर विरोध कर उद्वेलन पैदा किया, जिसकी पृष्ठभूमि में सरकार ने कुछ दिनों के लिये बिल को स्थगित किया, जिससे उसके सकारात्मक पक्ष को लोगों को समझाया जा सके। बिल स्थगन से दुखी हो अंबेडकर जी ने मंत्री पद त्यागा था, जिसके मूल में था उन हिन्दूवादी संगठनों का विधेयक विरोध, जिनकी परंपरा योगीजी जीते हैं।”
उन्होंने कहा कि जहां तक 1952 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकर जी के हारने का सवाल है, तो वह कांग्रेस से अलग पार्टी में थे और चुनाव में नेताओं के परस्पर सम्मान के बावजूद पार्टियां परस्पर चुनाव लड़ती ही हैं। कांग्रेस पार्टी ने तो एक अनाम सा प्रत्याशी खड़ा किया और उसके बाद वह राज्यसभा में चुने गये। इसलिये योगी कांग्रेस पर आरोप की जगह यह बतायें कि उनके लोग अंबेडकर जी का सम्मान करते थे, तो उस संसदीय चुनाव में भारतीय जनसंघ ने डा. अंबेडकर के विरुद्ध प्रत्याशी क्यों खड़ा किया और क्या उनके नेता तब डा.अंबेडकर के चुनाव प्रचार का काम कर रहे थे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा “ योगी जी दलितों की बात करते हैं मगर ये बताने में शर्माते हैं कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार इनके शासन काल में अपराध बढ़ गए हैं । इनके घटिया मानसिकता वाले नेता कभी उनपर पेशाब कर उन्हें अपमानित करते है कभी उनको घोड़ी चढ़ने से रोकते हैं।”