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निजी कम्पनी के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं
UP News: प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 226 में किसी प्राइवेट कम्पनी के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत राज्य माने जानी वाली संस्थाओं के खिलाफ ही अनुच्छेद 226 में याचिका दाखिल की जा सकती है। इसी के साथ कोर्ट ने नायरा एनर्जी लिमिटेड कम्पनी के खिलाफ मेसर्स मनोज पेट्रोलियम व अन्य की याचिका को पोषणीय न ही मानते हुए खारिज कर दिया। साथ ही याची कम्पनी को कानून के तहत वैकल्पिक अनुतोष प्राप्त करने की छूट दी है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ एवं न्यायमूर्ति वीसी दीक्षित की खंडपीठ ने मेसर्स मनोज पेट्रोलियम व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में नायरा एनर्जी द्वारा याची कम्पनी के साथ पेट्रोलियम पदार्थों की खरीद व बिक्री के लिए हुए करार को भंग करने की वैधता को चुनौती दी गई थी। अधिवक्ता यश पाडिया ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा कि विपक्षी कम्पनी फ्रेंचाइजी प्राइवेट कम्पनी है। वह राज्य की श्रेणी में नहीं आती इसलिए उसके खिलाफ याचिका नहीं की जा सकती।