Rangji temple: मथुरा। उत्तर को दक्षिण से जोड़ने वाले वृन्दावन के रंग जी मन्दिर के ब्रह्मोत्सव में मंगलवार भगवान रंगनाथ की जय के साथ भगवान रंगनाथ का रथ खींचने की भक्तों में होड़ मच गई। जिसे रथ खींचने का मौका मिला,वह धन्य हो गया। जिसे नहीं मिला उसने दूर से ही भगवान रंगनाथ को प्रणाम कर स्वयं को धन्य किया।
Rangji temple:
मंगलवार को रथयात्रा निकालने की घोषणा के कारण रंगजी मन्दिर के बाहर मेला सा लग गया था। अति आकर्षक रूप से सजाए गए 60 फीट ऊंचे रथ पर विराजमान भगवान रंगनाथ की रथ चलने के पहले वैदिक मंत्रों एवं शंखध्वनि के बीच आरती उतारी गई और उसके बाद देश विदेश के श्रद्धालुओं के द्वारा रथ खींचना शुरू हुआ। भगवान रंगनाथ के जयकारों के साथ रथ धीरे-धीरे रंग जी के बगीचे के लिए रवाना हुआ तथा कई घंटे के बाद रंग जी बगीचा पहुंचा। जहां पर कुछ घंटे भगवान को विश्राम देने के बाद रथ पुनः रंग जी मन्दिर के मुख्य द्वारा पर पहुंचा।
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लखीमपुर खीरी से आई मधु के लिए जहां यह अनूठा अनुभव था, वहीं रथ को खींचकर चेन्नई से आई सुधा कृष्णन इतनी भाव विभोर हुईं कि उनके नेत्र सजल हो गए। कुछ इसी प्रकार के भाव चेन्नई से ही आए हर्षिल में देखने को मिले। मुम्बई से आए पुरूषेत्तम श्रीनिवासन,अयोध्या से आए संत श्रीधराचार्य तथा नेपाल से आए कुछ भक्त भी रथ खींचकर भाव विभोर हो उठे।
मन्दिर की सीईओ अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि यह रथ मन्दिर में चल रहे ब्रम्होत्सव के अंतर्गत सातवें दिन निकाला गया था। ब्रह्मोत्सव समापन भगवान रंगनाथ को पुष्पक विमान में विराजमान कर उसे रंग जी बगीचे तक लाने और फिर मन्दिर वापस ले जाने से होगा।
उन्होंने बताया कि यह मन्दिर का 176वां ब्रह्मोत्सव था तथा रथ भी इतना ही पुराना और चन्दन की लकड़ी का बना हुआ है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेष कुमार पाण्डे ने बताया कि रथ को खींचने के लिए भारी भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को आज काफी मशक्कत करनी पड़ी।उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ होने के बावजूद कहीं से किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं घटी।
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