UP News: प्रयागराज। Azam Khan: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल खोलने की योजना सरकार द्वारा रद करने के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
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यूपी सरकार द्वारा रामपुर में ट्रस्ट की लीज समाप्त किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. लीज की जमीन पर ही आजम खान (Aajam Khan) का रामपुर पब्लिक स्कूल संचालित हो रहा था. हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद अब आजम खान के रामपुर पब्लिक स्कूल पर ताला लगेगा. लीज पर मिली जमीन पर स्कूल के अलावा कई अन्य बिल्डिंग भी बनाई गई थी. कोर्ट ने इस मामले सुनवाई पूरी होने के बाद 18 दिसंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया.
फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने रामपुर पब्लिक स्कूल के छात्रों को अन्यत्र समायोजित करने की सरकार को योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया था, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे।
यह है मामला UP News:
वर्ष 2004 में राज्य सरकार ने रामपुर में सरकारी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान खोलने का निर्णय लिया और इसके लिए जमीन अधिगृहीत की गई। भवन निर्माण 80 प्रतिशत पूरा होने पर आजम खान ने कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कराया और सरकारी संस्था को मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय से संबद्ध करा लिया। हालांकि अल्पसंख्यक मंत्रालय की कई आपत्तियां थी। उन्हें नजर अंदाज किया गया।
आपत्ति थी कि सरकारी संस्था प्राइवेट संस्थान से संबद्ध नहीं किया जा सकता। हितों में टकराव के चलते सरकार को 20.44 करोड़ के नुकसान की रिपोर्ट की अनदेखी की गई। महाधिवक्ता की विधिक राय लेकर विधि विभाग की राय की अनदेखी कर तत्कालीन कैबिनेट मंत्री ने सरकारी संस्था को प्राइवेट विश्वविद्यालय से संबद्ध करा लिया।
एक एकड़ जमीन 100 रूपये किराये पर 99साल की लीज कैबिनेट मंत्री रहते हुए आजम खां ने स्वयं अनुमोदित कर दी जो ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं। सरकारी संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल संचालित करा दिया गया।
सरकार बदलने के बाद हुई शिकायत पर एसआइटी गठित हुई। उसकी रिपोर्ट हाई पावर कमेटी ने कैबिनेट के समक्ष रखी। वर्तमान कैबिनेट ने 2014 के प्रस्ताव को पलट दिया और लीज निरस्त कर दी। रामपुर पब्लिक स्कूल को कब्जे में लेकर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान स्थापित किया। इसे चुनौती दी गई थी।
याची का कहना था कि कैबिनेट के फैसले को दूसरी सरकार रद नहीं कर सकती। सरकार की तरफ से कहा गया कि नीतिगत मामलों में किसी पक्ष को सुनवाई का मौका देने का औचित्य नहीं है। एक सरकारी संस्था को प्राइवेट सोसायटी से संबद्ध नहीं किया जा सकता। ऐसा करना ग्रांट एक्ट का उल्लघंन है। कोर्ट ने सरकार के तर्क को स्वीकार कर लिया।
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