इससे पहले भारत ने बांग्लादेश में अपने वीजा आवेदन केंद्रों (IVAC) को बंद कर दिया था। खुलना, चटगांव और राजशाही में स्थित इन केंद्रों पर भीड़ ने हमला किया था। यह हमले जुलाई 2024 के विद्रोह के प्रमुख युवा नेता शरीफ ओसमान हादी की 12 दिसंबर को अज्ञात हमलावरों द्वारा हत्या के बाद भड़की अशांति के दौरान हुए। हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए, जिनमें अफवाहें फैलीं कि हत्यारे भारत भाग गए हैं।
बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने सोमवार को कहा कि हत्यारों के ठिकाने की सटीक जानकारी अभी इनके पास नहीं है।
अल्पसंख्यकों पर हमले और अंतरराष्ट्रीय चिंता
बांग्लादेश में जारी अशांति में हिंदू समुदाय के सदस्य दीपु चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या सहित कई घटनाएं सामने आई हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बांग्लादेश में हिंसा, खासकर हिंदू व्यक्ति की लिंचिंग पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, “बांग्लादेश या किसी भी देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित महसूस करें, यह जरूरी है। हमें विश्वास है कि सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।”
भारत में भी विरोध तेज हो गया है। कोलकाता में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और कांग्रेस नेताओं ने बांग्लादेश डिप्टी हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन किया। अगरतला में बांग्लादेश सहायक हाई कमीशन ने मंगलवार से सभी वीजा और कांसुलर सेवाएं बंद करने की घोषणा की है। दिसंबर की शुरुआत में भी प्रदर्शनकारियों ने इस मिशन में घुसपैठ की कोशिश की थी।
बांग्लादेश में जारी अस्थिरता
हादी की हत्या के बाद ढाका में प्रथम आलो और डेली स्टार अखबारों के दफ्तरों में आगजनी और तोड़फोड़ हुई। बांग्लादेशी पत्रकारों ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से ज्यादा अब उनकी जिंदगी का सवाल है। इनकिलाब मोंचो ने हादी की हत्या की न्यायिक जांच नहीं होने पर अंतरिम सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।
भारतीय राजनयिक अनिल त्रिगुनायत ने स्थिति को “अत्यंत नाजुक और खतरनाक” बताया और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा तथा लोकतंत्र की बहाली पर जोर दिया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों को “मानवता पर कलंक” करार दिया।
अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने अमेरिकी दूत से बातचीत में 12 फरवरी को चुनाव कराने की प्रतिबद्धता दोहराई है। पिछले 15 महीनों में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के बीच वीजा सेवाएं बार-बार प्रभावित हुई हैं, लेकिन दिल्ली से बांग्लादेश की ओर से वीजा निलंबन पहली बार हुआ है।

