कोर्ट ने क्यों दी जमानत?
दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच (जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर) ने फैसले में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने POCSO एक्ट की कठोर धारा 5(c)/6 गलत तरीके से लागू की, क्योंकि विधायक को “पब्लिक सर्वेंट” नहीं माना जा सकता। इस धारा के बिना अधिकतम सजा उम्रकैद नहीं हो सकती थी। सेंगर ने नवंबर 2025 तक 7 साल 5 महीने से अधिक जेल काट ली है, जो सामान्य सजा से ज्यादा है। इसलिए अपील लंबित रहने तक सजा निलंबित की गई।
जमानत की मुख्य शर्तें:
• 15 लाख रुपये का व्यक्तिगत मुचलका और तीन जमानतदार (प्रत्येक 15 लाख रुपये के)।
• पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर की दूरी बनाए रखना।
• अपील के दौरान दिल्ली में रहना।
• हर सोमवार को स्थानीय पुलिस स्टेशन में हाजिरी।
• पीड़िता या उसके परिवार को कोई धमकी नहीं देना।
• शर्तों का उल्लंघन होने पर जमानत स्वतः रद्द।
हालांकि, पीड़िता के पिता की हत्या के अलग मामले में सजा होने से सेंगर अभी जेल से बाहर नहीं आ सके हैं।
विरोध प्रदर्शन और पीड़िता का दर्द
फैसले के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में महिलाएं और कार्यकर्ता एकत्र हुए। जनवादी महिला समिति सहित कई संगठनों ने “फांसी दो” के नारे लगाए और पीड़िता को न्याय की मांग की। दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की चेतावनी दी “विरोध प्रदर्शन तुरंत खत्म करें, नहीं तो 5 मिनट बाद आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इंडिया गेट पर पीड़िता, उनकी मां और महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने शांतिपूर्ण धरना दिया, लेकिन पुलिस ने उन्हें जबरन हटा दिया। पीड़िता ने रोते हुए कहा कि यह फैसला उनके लिए “मौत” जैसा है। उन्होंने CBI पर सवाल उठाते हुए कहा, “CBI पहले क्या कर रही थी?” और जांच अधिकारी की सेंगर से मुलाकात का आरोप लगाया। पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद जताई।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
25 दिसंबर को दो महिला अधिवक्ताओं (अंजले पटेल और पूजा शिल्पकर) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने अपराध की गंभीरता और ट्रायल कोर्ट के निष्कर्षों को नजरअंदाज किया। याचिका में हाई कोर्ट के आदेश पर तत्काल स्टे की मांग की गई है।
पीड़िता के वकील भी अलग से सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स में CBI के भी अपील करने की संभावना जताई गई है।
मामला क्या है?
2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग लड़की ने तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया था। मामले में पीड़िता के पिता की हत्या और दुर्घटना के प्रयास भी शामिल हुए। 2019 में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को उम्रकैद और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से केस दिल्ली ट्रांसफर हुआ था।
यह फैसला न्याय व्यवस्था में विश्वास और महिलाओं की सुरक्षा पर नए सवाल उठा रहा है। मामले की आगे की सुनवाई पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।

