जजों का फैसला: धोनी की मद्रास हाई कोर्ट में उपस्थिति के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था जरूरी, आईपीएल घोटाले में टीवी पत्रकार पर मानहानि का मुक़दमा

Cricketer Mahendra Singh Dhoni/Madras High Court News: मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की गवाही कोर्ट परिसर के बाहर रिकॉर्ड करने की व्यवस्था को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि धोनी की कोर्ट में मौजूदगी के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम करने पड़ेंगे, इसलिए एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति सही है।

हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस एस.एम. सुब्रमण्यम और जस्टिस मोहम्मद शफीक शामिल हैं, ने सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जी. संपत कुमार की अपील खारिज कर दी। कुमार ने धोनी की ₹100 करोड़ की मानहानि मामले में गवाही के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने के सिंगल जज के आदेश को चुनौती दी थी।

मामला क्या है?
• धोनी का मुकदमा: 2013 आईपीएल सट्टेबाजी घोटाले में अपना नाम घसीटे जाने पर धोनी ने 2014 में संपत कुमार, एक टीवी पत्रकार और चैनलों के खिलाफ ₹100 करोड़ का मानहानि का दावा दायर किया था।
• संपत कुमार का दावा: वे 2013 में ‘क्यू’ ब्रांच सीआईडी के एसपी थे। फर्जी पासपोर्ट घोटाले की जांच के दौरान सट्टेबाजी सिंडिकेट का पता चला। एक चेन्नई स्थित सरगना से पूछताछ में मैच फिक्सिंग का खुलासा हुआ। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस मुद्गल कमेटी के सामने गवाही दी।
• स्टिंग ऑपरेशन: एक टीवी पत्रकार ने उनकी बातचीत रिकॉर्ड कर 23 फरवरी 2014 को प्रसारित की, जिसके बाद धोनी ने मुकदमा दायर किया।

कोर्ट का फैसला
• एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति: जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने 11 अगस्त 2025 को मुकदमे की सुनवाई शुरू करने और धोनी की गवाही आपसी सुविधा वाले स्थान पर रिकॉर्ड करने का आदेश दिया।
• सुरक्षा का मुद्दा: डिवीजन बेंच ने कहा, “धोनी की कोर्ट में उपस्थिति से सुरक्षा व्यवस्था जटिल हो जाएगी। वैकल्पिक व्यवस्था से किसी को नुकसान नहीं।”
• समानता का तर्क खारिज: संपत कुमार ने कहा कि सेलिब्रिटी को विशेष सुविधा नहीं मिलनी चाहिए, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
• क्रॉस एग्जामिनेशन: गवाही संपत कुमार या उनके वकील की मौजूदगी में होगी, और क्रॉस-एग्जामिनेशन का मौका मिलेगा।

• आपत्तिजनक टिप्पणियां हटाईं: कुमार के हलफनामे में न्यायपालिका पर आपत्तिजनक टिप्पणियां थीं, जिन्हें धोनी के वकील पी.आर. रामन ने उठाया। कुमार ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे स्वीकार कर टिप्पणियां हटा दी गईं।

कोर्ट ने मुकदमे को 10 साल से लंबित बताते हुए त्वरित सुनवाई पर जोर दिया। यह फैसला सेलिब्रिटी मामलों में सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया के बीच संतुलन को एक बार फिर से उजागर कर रहा है।

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