Udaipur Files News: राजस्थान के चर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में तीखी बहस देखने को मिल रही है। इस मामले में विभिन्न पक्षों के वकीलों ने अपने-अपने तर्क पेश किए, जिससे यह मुद्दा और भी सुर्खियों में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट को वापस भेजने का संकेत दिया है, ताकि केंद्र सरकार के छह संशोधनों के साथ फिल्म को मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी जा सके।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कपिल सिब्बल
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद का पक्ष रखते हुए कहा कि यह फिल्म एक विशेष समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाली है। उन्होंने दावा किया कि फिल्म का कंटेंट सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है और इसमें शामिल कुछ संवाद और दृश्य सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकते हैं। सिब्बल ने केंद्र द्वारा गठित समिति की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए, जिसमें कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े सदस्य शामिल थे। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि वह फिल्म को स्वयं देखे ताकि इसके प्रभाव का आकलन किया जा सके।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि फिल्म आतंकवाद पर आधारित है और किसी समुदाय को निशाना नहीं बनाती। उन्होंने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) ने पहले ही फिल्म में 55 कट्स के साथ मंजूरी दी थी, और केंद्र की विशेषज्ञ समिति ने छह अतिरिक्त संशोधन सुझाए हैं। इनमें डिस्क्लेमर में बदलाव, कुछ क्रेडिट टाइटल्स हटाना और एक दृश्य से सऊदी-अरब शैली की पगड़ी हटाना शामिल है। मेहता ने जोर देकर कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता धर्मनिरपेक्ष होनी चाहिए और यह चयनात्मक नहीं हो सकती।
फिल्म निर्माताओं की ओर से गौरव भाटिया
फिल्म के निर्माता अमित जॉनी की ओर से वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने तर्क दिया कि ‘उदयपुर फाइल्स’ एक सच्ची घटना पर आधारित है, जो कन्हैयालाल की निर्मम हत्या को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म मौलिक अधिकारों के हनन को उजागर करती है और इसे सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है। भाटिया ने दिल्ली हाई कोर्ट के रिलीज पर रोक के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि सभी थिएटर बुक हो चुके थे, और रोक से निर्माताओं को नुकसान हुआ है।
आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से मेनका गुरुस्वामी
कन्हैयालाल हत्याकांड के एक आरोपी, मोहम्मद जावेद की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने तर्क दिया कि फिल्म की रिलीज से चल रहे मुकदमे पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि फिल्म जनता की राय को प्रभावित कर सकती है, जिससे निष्पक्ष सुनवाई में बाधा उत्पन्न होगी। गुरुस्वामी ने यह भी स्पष्ट किया कि जावेद ने कोई विवादित सामग्री सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं की, जैसा कि कुछ दावों में कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाया। जस्टिस सूर्यकांत ने न्यायिक अधिकारियों की क्षमता पर सवाल उठाने वालों को फटकार लगाते हुए कहा, “हमारे ज्यूडिशियल ऑफिसर्स को कम मत आंकिए।” उन्होंने यह भी कहा कि समाज को यह अधिकार है कि वह फिल्म देखे या न देखे, और हर काल्पनिक फिल्म किसी न किसी सच्ची घटना से प्रेरित होती है। कोर्ट ने यह भी जोर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार, अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से ऊपर है।
मामले की स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट को वापस भेज सकता है, ताकि याचिकाकर्ता केंद्र के छह संशोधनों के साथ मंजूरी के फैसले को चुनौती दे सकें। कोर्ट ने शुक्रवार, 25 जुलाई को अगली सुनवाई तक फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक बरकरार रखी है।
विवाद का पृष्ठभूमि
‘उदयपुर फाइल्स’ 2022 में उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की हत्या पर आधारित है, जिसे नूपुर शर्मा के विवादित बयान का समर्थन करने के कारण दो लोगों ने धारदार हथियार से मार डाला था। इस घटना का वीडियो भी आरोपियों ने रिकॉर्ड किया था। फिल्म में नूपुर शर्मा के बयान और ज्ञानवापी मस्जिद जैसे संवेदनशील मुद्दों का उल्लेख होने के कारण यह विवादों में घिरी हुई है।

