संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर पर तुर्की का बयान, अर्दोआन ने फिर दिया पाकिस्तान का साथ

Turkey issues statement on Kashmir at the UN General Assembly: संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में अंतरराष्ट्रीय मंच एक बार फिर कश्मीर मुद्दे का केंद्र बन गया। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यप अर्दोआन ने अपने संबोधन में भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव का जिक्र करते हुए कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत से हल करने की बात कही। तुर्की, जो हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए जाना जाता है, ने इस बार भी वैश्विक पटल पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया।

अर्दोआन ने अपने वक्तव्य में कहा, “हम पिछले अप्रैल में पाकिस्तान और भारत के बीच संघर्ष में बदल चुके तनाव के बाद हुए युद्धविराम से खुश हैं। हमें उम्मीद है कि कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर, कश्मीर में हमारे भाइयों और बहनों के हित में, बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा।” यह बयान तुर्की की विदेश नीति की निरंतरता को एक बार फिर से उजागर कर दिया है, जहां वह पाकिस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान भारत-तकनीकी संबंधों पर भी असर डाल सकता है, खासकर हालिया क्षेत्रीय तनावों के बाद।

इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने संबोधन में भारत-पाकिस्तान संबंधों का जिक्र किया। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने पिछले सात महीनों में लगभग सात ‘असम्भव’ युद्धों को समाप्त कराया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद मई 2025 में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत-पाकिस्तान युद्ध का रूप बताते हुए सीजफायर का पूरा श्रेय खुद को दिया। ट्रंप ने कहा कि इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर भारतीय कार्रवाई से उपजा तनाव वैश्विक संकट बन सकता था, जिसे उन्होंने शांत किया। इसके अलावा, उन्होंने इजरायल-ईरान और अन्य संघर्षों में अपनी भूमिका को भी रेखांकित किया।
यूएनजीए का यह सत्र वैश्विक नेताओं के लिए महत्वपूर्ण रहा। भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर कर रहे हैं, जो विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय चर्चाओं में हिस्सा ले रहे हैं। सत्र में अन्य प्रमुख हस्तियां भी शामिल हुईं, जिनमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा शामिल हैं।

सीरिया के लिए यह सत्र खास तौर पर ऐतिहासिक है, क्योंकि 57 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद कोई सीरियाई राष्ट्राध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र के मंच पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है। सभी नेता अपने-अपने देशों के मुद्दों को उठाने के साथ-साथ वैश्विक शांति और सुरक्षा पर चर्चा करेंगे।

यह सत्र न केवल क्षेत्रीय तनावों पर रोशनी डाल रहा है, बल्कि वैश्विक कूटनीति की जटिलताओं को भी उजागर करता है। भारत ने कश्मीर को आंतरिक मामला बताते हुए हमेशा संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप का विरोध किया है, जबकि पाकिस्तान और उसके समर्थक देश इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश करते रहे हैं। आने वाले दिनों में इस बयान के भारत-तकनीकी संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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