ट्रंप के दवाओं पर 100% टैरिफ से ऑस्ट्रेलिया में मचा हड़कंप, स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर ने कहा ‘अनुचित और असंगत’

Trump imposes 100% tariff on medicines : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार को नई चुनौती दे दी है। ट्रंप ने ब्रांडेड या पेटेंट वाली दवाओं पर 100% शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा। इस कदम से ऑस्ट्रेलिया के फार्मास्यूटिकल उद्योग को करीब 2 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर ने इसे ‘अनुचित और असंगत’ बताते हुए कहा कि सरकार फार्मास्यूटिकल बेनिफिट्स स्कीम (पीबीएस) को हर हाल में सुरक्षित रखेगी।

ट्रंप ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर यह घोषणा की, जिसमें कहा गया कि यदि कोई विदेशी कंपनी अमेरिका में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाने की शुरुआत नहीं करती, तो उसके उत्पादों पर 100% टैरिफ लगेगा। उनका कहना है कि यह कदम अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। लेकिन इस नीति से एशियाई फार्मा कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, खासकर ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख कंपनी सीएसएल के शेयरों में 3.6% की कमी दर्ज की गई, जिससे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन करीब 1 अरब डॉलर घट गया।

ऑस्ट्रेलिया के लिए यह टैरिफ खासा चिंताजनक है, क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा फार्मास्यूटिकल निर्यात बाजार है। 2024 में ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका को 2.2 अरब डॉलर की दवाएं निर्यात कीं, जिनमें से 87% ब्लड प्लाज्मा उत्पाद हैं, मुख्य रूप से सीएसएल द्वारा। स्वास्थ्य मंत्री बटलर ने अपने बयान में कहा, “20 साल के मुक्त व्यापार के बाद ये अनुचित, असंगत टैरिफ हैं। हम इनके प्रभावों को समझने के लिए काम कर रहे हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि पीबीएस, जो दवाओं की कीमतों को नियंत्रित रखती है, पर कोई समझौता नहीं होगा। अमेरिकी फार्मा लॉबी ग्रुप्स ने लंबे समय से पीबीएस को ‘भेदभावपूर्ण’ बताकर ट्रंप प्रशासन से कार्रवाई की मांग की थी, क्योंकि यह दवा कंपनियों की कमाई को सीमित करती है।

ट्रंप की यह घोषणा जुलाई से चल रही बहस का हिस्सा है, जब उन्होंने दवाओं पर 200% तक टैरिफ की धमकी दी थी। अगस्त में 250% तक की बात कही गई, लेकिन अब 100% पर फैसला हो गया। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने कहा कि वह कंपनियों को समर्थन देगी, लेकिन अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की आशंका है। विपक्ष की नेता सुजैन लेय ने इसे ‘गहराई से चिंताजनक’ बताया और कहा कि ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को नुकसान होगा।

वैश्विक स्तर पर इस टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं को दवाओं की कीमतें दोगुनी होने का खतरा है, जो मेडिकेयर और मेडिकेड कार्यक्रमों पर बोझ बढ़ा सकता है। जापान और यूरोपीय संघ जैसे देश भी प्रभावित होंगे, लेकिन उनके पास पहले से 15% टैरिफ कैप वाले समझौते हैं। ऑस्ट्रेलियाई अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह ब्रेक्सिट जैसा वैश्विक व्यापार पर गहरा असर डाल सकता है।

सरकार ने कंपनियों से सलाह दी है कि वे अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने पर विचार करें, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे दवा की कमी हो सकती है। स्वास्थ्य मंत्री बटलर ने कहा, “हमारी प्राथमिकता ऑस्ट्रेलियाई लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना है।” यह विवाद मुक्त व्यापार समझौतों को नई चुनौती दे रहा है, और आने वाले दिनों में द्विपक्षीय वार्ताओं में तेजी आ सकती है।

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