राजदूत शेख, जो अगस्त 2024 से वॉशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत हैं, ने कहा, “ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को अफगानिस्तान या भारत के संदर्भ में नहीं, बल्कि अपनी अलग पहचान वाले एक बड़े देश के रूप में देखता है।” उन्होंने पाकिस्तान की युवा आबादी (औसत आयु 23 वर्ष) और रणनीतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अब समय है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत किया जाए। शेख ने यह भी उल्लेख किया कि पाकिस्तान की पांचवीं सबसे बड़ी आबादी और संसाधनों की भरमार इसे अमेरिका के लिए आकर्षक बनाती है।
इस बयान का पृष्ठभूमि ट्रंप और मुनिर के बीच हालिया मुलाकातों से जुड़ी है। जून 2025 में व्हाइट हाउस में हुई पहली बैठक के बाद सितंबर में दूसरी बैठक हुई, जहां ट्रंप ने मुनिर को अपना “पसंदीदा फील्ड मार्शल” तक कहा। इन बैठकों में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग, क्रिप्टोकरेंसी, तेल और दुर्लभ मिट्टी के खनिजों पर चर्चा हुई। पाकिस्तान ने अमेरिका को इन क्षेत्रों में निवेश के अवसर दिखाए, जिसके बदले अमेरिका ने पाकिस्तानी सामानों पर टैरिफ 29% से घटाकर 19% कर दिया। यह कदम पाकिस्तान को एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम टैरिफ दरों वाली स्थिति देता है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इसे “अभूतपूर्व” बताया, जबकि अमेरिकी मीडिया ने इसे “रणनीतिक रोमांस” करार दिया। ट्रंप ने पाकिस्तान को गाजा शांति योजना में समर्थन के लिए सराहा और भारत-पाकिस्तान संघर्ष को समाप्त करने में इस्लामाबाद की भूमिका की तारीफ की। हालांकि, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को इनमें से किसी बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया, जिसे भारत ने “शर्मनाक” कहा। भारतीय रक्षा सचिव राजेश सिंह ने टिप्पणी की कि यह पाकिस्तान की सैन्य प्राथमिकता को उजागर कर रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह नजदीकी अमेरिका की ईरान-इसराइल संघर्ष और चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान ने ट्रंप के पूर्व सहयोगियों, जैसे कीथ शिलर और जॉर्ज सोरियल, को लॉबिंग के लिए 50 लाख डॉलर से अधिक खर्च कर “व्हाइट हाउस एक्सेस” हासिल किया। पूर्व पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक़्क़ानी ने कहा, “ट्रंप को सफलता की कहानियां चाहिए, और पाकिस्तान उन्हें दे रहा है।”
हालांकि, भारत में इस बदलाव ने चिंता बढ़ाई है। दिल्ली इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानता है, खासकर जब पाकिस्तान चीन से हथियार खरीद रहा हो। अमेरिकी कांग्रेस में इमरान खान की रिहाई की मांग तेज है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ सहयोगी” के रूप में पुनर्स्थापित किया है।
पाकिस्तान के युवा छात्रों और विश्लेषकों ने समागम में आशा जताई कि यह साझेदारी आर्थिक निवेश लाएगी। राजदूत शेख ने कहा, “अब गहराई की जरूरत है, ताकि यह रिश्ता सतही न रहे।” वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की यह कूटनीतिक सफलता 2025 के अंत तक दोनों देशों के बीच नई शुरुआत का संकेत दे रही है।

