हाल ही में मनाली का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें सूखी-बंजर पहाड़ियों के बीच एक छोटे से पैच पर पर्यटक स्कीइंग और खेलते नजर आ रहे हैं। पर्यटकों ने इसे ‘फ्रिज में इससे ज्यादा बर्फ है’ कहकर मजाक उड़ाया। कई ने लोकल गाइड्स पर आरोप लगाया कि वे ट्रकों से बर्फ लाकर छोटे स्पॉट बनाते हैं और महंगे पैकेज बेचते हैं।
जलवायु परिवर्तन का असर:
इस साल हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी 23 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। ICIMOD की रिपोर्ट के मुताबिक, स्नो पर्सिस्टेंस (बर्फ जमीन पर रहने का समय) सामान्य से 23.6% कम रहा। गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु जैसी नदियों के बेसिन में बर्फ की कमी से 2 अरब लोगों की पानी की सुरक्षा खतरे में है। हिमाचल और कश्मीर में दिसंबर में भी पहाड़ बंजर दिख रहे हैं।
कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुलमर्ग में दिसंबर 2025 से कृत्रिम बर्फ का इस्तेमाल शुरू करने की घोषणा की है, ताकि स्कीइंग सीजन समय पर शुरू हो। विदेशी स्की रिसॉर्ट्स में इस्तेमाल होने वाली स्नो गन तकनीक अब भारत में अपनाई जा रही है।
समस्याएं:
• पर्यटक धोखा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि वे प्राकृतिक बर्फ की उम्मीद में आते हैं।
• कृत्रिम बर्फ महंगी और पानी की खपत करने वाली है।
• लंबे समय में बर्फ की कमी से कृषि, बिजली उत्पादन और पानी की उपलब्धता प्रभावित होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह अस्थायी उपाय है, असली समस्या जलवायु परिवर्तन है। अगर बर्फबारी इसी तरह कम होती रही, तो हिमालय के ‘स्वर्ग’ का स्वरूप हमेशा के लिए बदल सकता है।
पर्यटकों को सलाह: यात्रा से पहले मौसम और बर्फ की स्थिति जरूर चेक करें।

