उद्योग से इथेनॉल-डीजल, ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में विविधता लाने का किया आग्रह
Transport: नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को चीनी उद्योग से इथेनॉल-डीजल मिश्रण और हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में विविधता लाने का आग्रह किया। नितिन गडकरी ने निजी क्षेत्र की भागीदारी सहित इथेनॉल और सीएनजी पंप स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित होटल ताज महल में चीनी उद्योग के प्रमुख निकाय भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के दूसरे सालान आम बैठक को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने अपने संबोधन में इथेनॉल और सीएनजी पंप स्थापित करने और निजी क्षेत्र के निवेश की वकालत की।
भारतीय चीनी संघ की दूसरे सालाना आम बैठक को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में फ्लेक्स इंजन, इथेनॉल आधारित इंजन और बायोसीएनजी की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि टाटा, मारुति सुजुकी और टोयोटा सहित पांच वाहन निमार्ता कंपनियां बाजार में फ्लेक्स इंजन ईंधन कारें लॉन्च करने के लिए तैयार हैं। इस अवसर पर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा और इस्मा के उपाध्यक्ष गौतम गोयल तथा इंडस्ट्रीज से जुड़े अन्य वरिष्ठि अधिकारी उपस्थित रहे।
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देशों को इथेनॉल निर्यात करने की संभावनाओं की जांच करने का दिया सुझाव
उन्होंने ट्रैक्टर निमार्ताओं से वैकल्पिक ईंधन पर ट्रैक्टरों का निर्माण शुरू करने का आग्रह किया। मंत्री ने बाजार के अवसरों का विस्तार करने के लिए बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों को इथेनॉल निर्यात करने की संभावनाओं की जांच करने का सुझाव दिया। गडकरी ने कहा कि मैं जानता हूं कि चीनी बनाना कोई आकर्षक काम नहीं है, लेकिन इसके साथ ही इथेनॉल, सीएनजी, हाइड्रोजन और अन्य उप-उत्पादों के कारण हम उद्योग में उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ा सकते हैं।
चीनी उद्योग की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से की चर्चा
इससे पहले भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निमार्ता संघ इस्मा के अध्यक्ष एम प्रभाकर राव ने केंद्रीय मंत्री का स्वागत करते हुए चीनी उद्योग की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उल्लेखनीय है कि भारतीय चीनी मिल संघ देश का एक प्रमुख चीनी संगठन है। यह भारत में सरकारी और निजी चीनी मिलों के बीच एक कड़ी है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में निजी चीनी मिलों के कामकाज और हितों की रक्षा सरकार की अनुकूल और विकासोन्मुखी नीतियों के माध्यम से करना है।