ट्रैफिक की वजह से बेंगलुरु बना नर्क: 14 किमी की दूरी तय करने में 2 घंटे लगे बच्चों को स्कूल जाने में हुई देर

Bengaluru Viral Traffic News: सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर बेंगलुरु अब ट्रैफिक जाम के लिए कुख्यात हो चुका है। यहां एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट ने शहर की बदतर सड़क स्थिति पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। व्हाइटफील्ड से सरजापुर-वार्थुर रोड होते हुए स्कूल जाने वाले बच्चों को मात्र 14 किमी की दूरी तय करने में पूरे 2 घंटे लग गए। यह घटना दोपहर 1 बजे के ‘ऑफ-पीक’ समय की है, जो शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की पोल खोल रही है।

स्थानीय निवासी श्रीनिवासन सुब्रमणि ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक गूगल मैप्स का स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें रूट ज्यादातर लाल रंग से चिह्नित था, जो भारी जाम का संकेत देता है। उन्होंने लिखा, “आज हमारे बच्चों को व्हाइटफील्ड से सरजापुर-वार्थुर रोड पर स्कूल पहुंचने में 2 घंटे लग गए (14 किमी)। यह दोपहर 1 बजे की स्थिति है। क्या इस सड़क पर गड्ढों और ट्रैफिक की निगरानी कोई कर रहा है?” पोस्ट में @blrcitytraffic, @DKShivakumar और अन्य अधिकारियों को टैग किया गया है।

यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गई और हजारों व्यूज बटोर चुकी है। सोशल मीडिया यूजर्स ने शहर की बदहाल इंफ्रास्ट्रक्चर पर तीखे सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, “2-3 किमी से ज्यादा की दूरी बच्चों के लिए उचित नहीं। तनाव और समय की बर्बादी देखिए।” वहीं, दूसरे ने कहा, “वार्थुर मार्केट क्षेत्र से गुजरना नर्क जैसा है। पूरे पूर्व बेंगलुरु में जाम लगा रहता है।” कईयों ने गड्ढों को मुख्य वजह बताया, जबकि कुछ ने मेट्रो निर्माण और सिविल वर्क्स को जिम्मेदार ठहराया।

बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस ने पोस्ट पर संज्ञान लिया और इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को टैग करते हुए जवाब दिया। हालांकि, अभिभावकों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। एक पिता ने अपनी पोस्ट में लिखा, “मेरे बच्चे का स्कूल घर से सिर्फ 5 किमी दूर है, लेकिन सुबह 1 घंटा और शाम को 1.5 घंटा लग जाता है। यह ‘ब्रांड बेंगलुरु’ है?” एक अन्य यूजर ने शेयर किया कि मराठहल्ली से बोमनाहल्ली (19 किमी) 2 घंटे 15 मिनट में तय हुई, जो बच्चों के लिए और भी कष्टदायक है।

यह कोई नई समस्या नहीं है। टॉमटॉम ट्रैफिक इंडेक्स 2024 के अनुसार, बेंगलुरु दुनिया का तीसरा सबसे धीमा शहर है, जहां 10 किमी की यात्रा में औसतन 34 मिनट 10 सेकंड लगते हैं। शहर के निवासी सालाना 111 घंटे ट्रैफिक जाम में फंसे रहते हैं।

सरजापुर रोड पर हाल के सर्वे में पाया गया कि छात्र सालाना 600 घंटे ट्रैफिक में बर्बाद कर देते हैं। आउटर रिंग रोड (ओआरआर) पर मेट्रो प्रोजेक्ट और वाहनों की संख्या बढ़ने से जाम और गहरा गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में बेंगलुरु के कम्यूटर्स औसतन 19 किमी के लिए 63 मिनट खर्च करते हैं, जो पिछले साल से 16% ज्यादा है।

अभिभावक और विशेषज्ञ ‘30-मिनट सिटी’ मॉडल की मांग कर रहे हैं, जिसमें स्कूल, ऑफिस और जरूरी सेवाएं 30 मिनट के दायरे में हों। एक रिपोर्ट में कहा गया कि 35,000-40,000 बच्चे रोजाना जाम में फंसते हैं, जो उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। बेंगलुरु मेट्रो ने कुछ राहत दी है—एक यूजर ने बताया कि 14 किमी का सफर मेट्रो से 20 मिनट में हो गया, लेकिन ग्राउंड लेवल पर समस्या जस की तस बनी हुई है।

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धारामैया से मांग उठ रही है कि तत्काल कदम उठाए जाएं—गड्ढों की मरम्मत, ट्रैफिक मैनेजमेंट और वैकल्पिक रूट्स विकसित किए जाएं। शहरवासी पूछ रहे हैं: क्या ‘स्मार्ट सिटी’ का सपना अब जाम में फंस गया है? फिलहाल, अभिभावक बच्चों को समय पर स्कूल पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि ट्रैफिक का यह नर्क शहर की चमक को फीका कर रहा है।

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