Town Planning News: भारत के शहर तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही ट्रैफिक जाम, जलभराव, अनियोजित निर्माण और गलत मास्टर प्लान जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन समस्याओं का एकमात्र समाधान है एक मजबूत टाउन प्लानिंग एक्ट और प्रोफेशनल टाउन प्लानर्स को उनकी योग्यता के अनुरूप काम का अधिकार देना। हालांकि, भारत में हजारों प्रशिक्षित टाउन प्लानर्स होने के बावजूद, उनकी विशेषज्ञता का उपयोग नहीं हो पा रहा है, और अनट्रेंड लोग शहरी नियोजन का जिम्मा संभाल रहे हैं, जिससे समस्याएं और गंभीर हो रही हैं।
टाउन प्लानर्स की कमी और अनट्रेंड नियोजन का प्रभाव
नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति एक लाख आबादी पर एक भी टाउन प्लानर नहीं है, जबकि यूनाइटेड किंगडम में यह संख्या 37 और ऑस्ट्रेलिया में 23 है। यह कमी तब और चिंताजनक हो जाती है, जब देश में शहरीकरण की गति 34% से अधिक हो चुकी है और 2030 तक 40% आबादी के शहरों में रहने की उम्मीद है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में हाल ही में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग में 50 नए पदों की स्वीकृति दी गई है, जिसमें उप संचालक योजना, सहायक संचालक योजना और वरिष्ठ योजना सहायक के पद शामिल हैं। लेकिन यह कदम पूरे देश की जरूरतों के सामने नाकाफी है।
शहरी नियोजन में अनट्रेंड लोगों की भागीदारी के कारण मास्टर प्लान कई बार वास्तविकता से दूर रहते हैं। उदाहरण के लिए, कई शहरों में मास्टर प्लान बिना उचित सर्वेक्षण या स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखे बनाए जाते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और जलभराव जैसी समस्याएं बढ़ती हैं। दिल्ली जैसे महानगरों में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन टाउन प्लानर्स की कमी के कारण यह प्रक्रिया जटिल हो रही है।
हिमाचल प्रदेश में टाउन प्लानिंग एक्ट में संशोधन
हिमाचल प्रदेश ने हाल ही में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट में संशोधन कर 1,000 वर्ग मीटर से अधिक के सभी भूखंडों के लिए टाउन प्लानिंग विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य बेतरतीब निर्माण को रोकना और बाढ़, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करना है। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लागू करने के लिए प्रशिक्षित टाउन प्लानर्स की जरूरत होगी, जो वर्तमान में अपर्याप्त हैं।
ट्रैफिक जाम और जलभराव, नियोजन की कमी का नतीजा
भारत के अधिकांश शहरों में ट्रैफिक जाम और जलभराव की समस्या आम है। उदाहरण के लिए, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में हर साल मॉनसून के दौरान जलभराव से जनजीवन ठप हो जाता है। इसका कारण है अनियोजित ड्रेनेज सिस्टम और बेतरतीब निर्माण, जो मास्टर प्लान के अभाव या गलत कार्यान्वयन का परिणाम है। टाउन प्लानिंग के तत्वों में संचार, परिवहन, जल निकासी, और सार्वजनिक सुविधाओं का समावेश होता है, लेकिन इनका कार्यान्वयन तब तक संभव नहीं, जब तक प्रोफेशनल टाउन प्लानर्स को जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी।
मास्टर प्लान और लैंड पूलिंग की भूमिका
मास्टर प्लान किसी शहर के दीर्घकालिक विकास का खाका होता है, जो अगले 10-20 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। अमृत योजना के तहत 461 शहरों के लिए जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार किए गए हैं, जिनमें से 208 को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसके अलावा, लैंड पूलिंग स्कीम्स जैसे नए तरीके शहरों के सुनियोजित विकास में मदद कर रहे हैं, जहां जमीन मालिक अपनी जमीन सरकार को सौंपते हैं और बदले में विकसित भूखंड प्राप्त करते हैं। लेकिन इन योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन तभी संभव है, जब प्रोफेशनल टाउन प्लानर्स को नियुक्त किया जाए।
मजबूत टाउन प्लानिंग एक्ट की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को एक केंद्रीकृत और मजबूत टाउन प्लानिंग एक्ट की जरूरत है, जो प्रोफेशनल टाउन प्लानर्स की भूमिका को सुनिश्चित करे। नीति आयोग ने राष्ट्रीय नगर एवं ग्राम योजनाकार परिषद गठित करने का सुझाव दिया है, जो टाउन प्लानर्स की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही, शहरी नियोजन संस्थानों को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि प्रशिक्षित पेशेवरों की संख्या बढ़े।
मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा है कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का शहरी विकास में महत्वपूर्ण योगदान है, और भविष्य के शहरों को तकनीकी रूप से सुसज्जित, सुरक्षित और सुनियोजित बनाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को न केवल टाउन प्लानर्स की भर्ती बढ़ानी होगी, बल्कि उनके प्रशिक्षण और नियुक्ति को भी प्राथमिकता देनी होगी।
निष्कर्ष
भारत के शहरों की बढ़ती समस्याओं का समाधान एक मजबूत टाउन प्लानिंग ढांचे और प्रोफेशनल टाउन प्लानर्स की सक्रिय भागीदारी में निहित है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम, जैसे हिमाचल में एक्ट का संशोधन और छत्तीसगढ़ में नए पदों का सृजन, सकारात्मक हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक नीति की जरूरत है। जब तक प्रशिक्षित टाउन प्लानर्स को शहरी नियोजन की मुख्यधारा में नहीं लाया जाएगा, तब तक ट्रैफिक जाम, जलभराव और बेतरतीब निर्माण जैसी समस्याएं बनी रहेंगी। यह समय है कि भारत अपने शहरों को सुनियोजित और टिकाऊ बनाने के लिए प्रोफेशनल टाउन प्लानर्स को उनका हक दे।

