Blood Moon/ Lunar Eclipse News: 7 सितंबर 2025 को रात में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होने जा रही है—पूर्ण चंद्रग्रहण। यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह डूब जाएगा और लाल रंग का दिखाई देगा, जिसे ‘ब्लड मून’ के नाम से भी जाना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक आकर्षक खगोलीय घटना है, वहीं धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसका विशेष महत्व है। इस लेख में हम ग्रहण के समय, सावधानियों और उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
चंद्रग्रहण का समय और अवधि
भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार, 7 सितंबर 2025 को चंद्रग्रहण निम्नलिखित समय पर होगा:
• उपछाया चरण शुरू: रात 8:58 बजे
• आंशिक ग्रहण शुरू: रात 9:45 बजे
• पूर्ण ग्रहण शुरू: रात 10:58 बजे
• ग्रहण का चरम: रात 11:42 बजे
• पूर्ण ग्रहण समाप्त: रात 12:50 बजे
• आंशिक ग्रहण समाप्त: रात 1:26 बजे
यह ग्रहण कुल मिलाकर लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा, जिसमें पूर्ण चंद्रग्रहण की अवधि 82 मिनट होगी।
चंद्रग्रहण का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
वैज्ञानिक रूप से, चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है। इस दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती हैं, जिसके कारण नीला रंग बिखर जाता है और चंद्रमा लाल दिखाई देता है। इसे ‘रेले प्रकीर्णन’ (Rayleigh Scattering) कहा जाता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से, हिंदू शास्त्रों में चंद्रग्रहण को अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह राहु और केतु के प्रभाव से घटित होता है। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है, जिसके कारण कुछ विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है।
विशेष सावधानियां
चंद्रग्रहण के दौरान निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
1. गर्भवती महिलाएं सतर्क रहें: मान्यता है कि ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलना चाहिए और नुकीली वस्तुओं (जैसे चाकू, सुई) का उपयोग नहीं करना चाहिए।
2. भोजन से परहेज: ग्रहण के दौरान भोजन या पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि ग्रहण की किरणें भोजन को दूषित कर सकती हैं। ग्रहण से पहले भोजन कर लेना उचित है।
3. पूजा-पाठ न करें: ग्रहण काल में मंदिर के कपाट बंद रखे जाते हैं और देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। मंदिर को लाल या पीले कपड़े से ढक देना चाहिए।
4. नुकीली वस्तुओं का उपयोग न करें: चाकू, सुई, या कैची जैसी तेज वस्तुओं का उपयोग वर्जित है।
5. नकारात्मकता से बचें: झगड़े, वाद-विवाद या नकारात्मक विचारों से दूर रहें। मन को शांत रखने के लिए ध्यान और मंत्र जाप करें।
6. बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखें: बच्चों और बुजुर्गों को ग्रहण के दौरान बाहर न निकलने दें, क्योंकि उनका स्वास्थ्य नाजुक हो सकता है।
क्या करें?
ग्रहण के दौरान निम्नलिखित कार्य शुभ माने जाते हैं:
1. मंत्र जाप: शिव जी का महामृत्युंजय मंत्र या चंद्रमा का मंत्र ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः’ का जाप करें। यह मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
2. दान-पुण्य: ग्रहण समाप्त होने के बाद चावल, दूध, घी, सफेद वस्त्र, या चांदी का दान करें। यह चंद्र दोष को कम करता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. स्नान और शुद्धि: ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें और घर में गंगाजल छिड़ककर शुद्धि करें।
4. ध्यान और प्राणायाम: मानसिक शांति के लिए ध्यान और प्राणायाम करें।
ज्योतिषीय प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह चंद्रग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में होगा, जिसमें राहु और चंद्रमा की युति होगी। यह कुछ राशियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, विशेष रूप से वृषभ, मिथुन, सिंह, तुला, और कुंभ राशि वालों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। मानसिक तनाव, आर्थिक उतार-चढ़ाव, और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। कर्क, वृश्चिक, और मकर राशि वालों को भी सावधानी बरतनी चाहिए।
वैश्विक प्रभाव
ज्योतिषियों के अनुसार, इस ग्रहण के दौरान शनि वक्री और बृहस्पति अतिचारी होंगे, जो प्राकृतिक आपदाओं (जैसे भूकंप, तूफान) और वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता का संकेत दे सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंप की आशंका और मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
निष्कर्ष
7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण न केवल एक खगोलीय दृश्य है, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान सावधानी बरतकर और उचित उपाय अपनाकर नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। ग्रहण के समय शांत रहें, सकारात्मक सोच बनाए रखें, और धार्मिक कार्यों में ध्यान दें। यह समय आत्मचिंतन और आध्यात्मिक साधना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।

