पीओजेके में हिंसक प्रदर्शनों के शिकार लोगो की अंत्येष्टि में उमड़ी हजारों की भीड़, क्षेत्र में तनाव चरम पर

Muzaffarabad/PoJK News: पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर (पीओजेके) में पिछले चार दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों की अंत्येष्टि में गुरुवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। मुजफ्फराबाद, क्षेत्र की राजधानी, में तीन युवकों के शवों के लिए नमाज-ए-जनाजा अदा की गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना पर अत्याचार का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। एक तरफ शोक की लहर दौड़ रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार की ओर से बातचीत की पेशकश के बावजूद आंदोलनकारियों ने अपनी मांगें पूरी होने तक शवों का अंतिम संस्कार न करने का ऐलान किया है।

जम्मू कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमिटी (जेकेेजेएएसी) के नेतृत्व में चले इन प्रदर्शनों की जड़ में आर्थिक और राजनीतिक असंतोष है। आंदोलनकारियों ने 38-सूत्री मांग पत्र पेश किया है, जिसमें गेहूं के आटे पर सब्सिडी, बिजली दरों में कमी, मुफ्त शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाएं, और सरकारी अधिकारियों के विशेषाधिकारों का अंत शामिल है। इसके अलावा, पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए विधानसभा में आरक्षित 12 सीटों को समाप्त करने की मांग भी प्रमुख है, जिसे प्रदर्शनकारी क्षेत्रीय सरकारों को अस्थिर करने का हथियार मानते हैं। उच्च बिजली बिल, नौकरियों की कमी, और राजनीतिक अभिजात वर्ग के विलासितापूर्ण जीवन पर भी गुस्सा भड़का है, जहां अस्पतालों में दवाओं की कमी है लेकिन नेताओं को मुफ्त बिजली और महंगी कारें मिल रही हैं।

सोमवार से शुरू हुए इन प्रदर्शनों में अब तक कम से कम आठ से नौ लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें पांच-छह नागरिक और तीन पुलिसकर्मी शामिल हैं। 170 से अधिक पुलिसकर्मी और 50 से ज्यादा नागरिक घायल हुए हैं, जबकि आंदोलनकारियों का दावा है कि सौ से अधिक नागरिकों को चोटें आई हैं। मुजफ्फराबाद सहित मीरपुर, डुडयाल और अन्य जिलों में हिंसा भड़क उठी, जहां सुरक्षा बलों ने आंसू गैस और बल प्रयोग किया। एक वीडियो में दिखा कि हजारों लोग शवों के साथ सड़कों पर मार्च कर रहे थे, और जेकेेजेएएसी के कार्यकर्ता ताबूतों के इर्द-गिर्द इकट्ठा होकर नारे लगा रहे थे। मीरपुर के डुडयाल में एक प्रदर्शनकारी के शव को दफनाने से इनकार कर दिया गया है, जब तक मांगें पूरी न हों।

पाकिस्तानी सरकार ने स्थिति को काबू करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अनिश्चितकालीन लॉकडाउन लगाया गया है, इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं ठप कर दी गई हैं, और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने हिंसा को “दुश्मन की साजिश” करार दिया, बिना नाम लिए, और कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार है लेकिन अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने चिंता जताते हुए शांत रहने की अपील की, पीड़ित परिवारों के लिए आर्थिक सहायता, पारदर्शी जांच, और उच्च स्तरीय समिति गठित करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, “सरकार कश्मीरी भाइयों की समस्याओं को हल करने को हमेशा तैयार है।” योजना मंत्री अहसान इकबाल ने बातचीत से समाधान की उम्मीद जताई। सरकार का दावा है कि 90 प्रतिशत मांगें स्वीकार कर ली गई हैं, लेकिन आंदोलनकारियों ने इसे खारिज किया है।

इस अशांति ने पूरे क्षेत्र को ठप कर दिया है—दुकानें, बाजार, स्कूल और परिवहन सेवाएं बंद हैं। ब्रिटेन में कश्मीरी समुदाय ने लंदन और बर्मिंघम में रैलियां कीं, जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सुरक्षा बलों के अत्यधिक बल प्रयोग और संचार ब्लैकआउट की जांच की मांग की। विशेषज्ञों का मानना है कि यह असंतोष खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे अन्य क्षेत्रों में फैल सकता है, जो पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता के लिए खतरा है। भारत और पाकिस्तान दोनों द्वारा दावा किए जाने वाले इस संवेदनशील क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी भारी है, और यह घटना क्षेत्रीय तनाव को नई ऊंचाई दे सकती है।

जेकेेजेएएसी के एक नेता ने कहा, “हमारी मांगें न्याय की हैं, न कि विद्रोह की। जब तक पूरा चार्टर लागू न हो, आंदोलन जारी रहेगा।” प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना पर निहत्थे नागरिकों पर अत्याचार का आरोप लगाया है, जबकि सरकार इसे “शत्रु प्रायोजित” बता रही है। स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है, और बातचीत की संभावना पर नजरें टिकी हैं।

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