Uttar Pradesh: जमीन की कीमतें भले ही आसमान छू रही हों, लेकिन कागजों में उनकी कीमत कौड़ियों के भाव दिखाई जा रही है। यह खेल प्रोपर्टी खरीददारों के लिए वरदान साबित हो रहा है। दरअसल ये सब जमीनों को आयकर विभाग की नजरों से बचाने के लिए हो रहा है। यही कारण है कि प्रदेश में 30 लाख रुपये से सस्ती प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में हिस्सेदारी 95 प्रतिशत ज्यादा हो गई है। इसे देखते हुए दो साल में कराई गई एक करोड़ रजिस्ट्री की अब जांच के दायरे में है। बैंक, रजिस्ट्री विभाग, आरटीओ, स्टॉक एक्ससेंज, पोस्ट ऑफिस, डिपॉजिटिरी आदि को हर वर्ष प्रत्येक खाते का पूरा ब्योरा इन्कम टैक्स विभाग को भेजना अनिवार्य है। इस डाटा के आधार पर इन्कम टैक्स विभाग प्रत्येक व्यक्ति के आय-व्यय की गणना करता है। बता दें कि 30 लाख रुपये से कम कीमत की प्रॉपर्टी का ब्योरा इन्कम टैक्स विभाग नहीं भेजा जाता है, इसलिए यहीं से खेल शुरू हो जाता है।
ऐसे होता है पूरा खेल
च्लिए एक उदाहरण से समझाते है कैसे होता है पूरा खेल। मान लिजिए एक करोड़ की प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करानी है। उसकी केवल सिर्फ 20 लाख रुपये मूल्य दिखाकर रजिस्ट्री कराई जाती है। कुछ समय बाद प्रॉपर्टी मालिक रजिस्ट्री विभाग में आवेदन करता है कि गलती से एक करोड़ रुपये वाली प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री 20 लाख में हो गई है। वह शेष 80 लाख रुपये की स्टाम्प फीस व जुर्माना अदा करने को तैयार है। इसके बाद मामला स्टाम्प चोरी के रूप में दर्ज किया जाता है और कोर्ट में जाने के बाद नियमानुसार स्टाम्प फीस व जुर्माना जमा हो जाता है और कागजों में 20 लाख वाली प्रॉपर्टी अब एक करोड़ की हो जाती है। चूंकि आयकर विभाग के फार्मेट में इस तरह की संपत्ति की सूचना देने की व्यवस्था ही नहीं है इसलिए ऐसे मामलों की सूचना आयकर विभाग तक नहीं पहुंचती। इसमें जिलों में तैनात स्टाम्प अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। अब ऐसे मामलों की अलग सूची तैयारी की जाएगी। इस तरह होता है खेल में खर्च असमान होने पर जांच और नोटिस जारी किया जाता है। आयकर विभाग सिर्फ 30 लाख रुपये से महंगी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री का ब्योरा मांगता है। इससे आयकर की नजरों से बचने के लिए जमीनों की रजिस्ट्री में यह खेल हो रहा है। इसमें जिला स्तर पर रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत का भी संदेह है। कीमती जमीनों की कम कीमत पर रजिस्ट्र का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष 46.29 लाख संपत्तियों की रजिस्ट्री 30 लाख रुपये से कम कीमत पर हुई। सिर्फ 2.66 लाख संपत्तियों की कीमत 30 लाख रुपये से ज्यादा थी। नोएडा ग्रेटर नोएडा में ऐसे सभी खरीददारों की सूचि बनाई जा रही है। ताकि पता चल सकें कि कितने लोगों ने आयकर विभाग की नजर से बचने के लिए ये झमेला किया है।
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