Kenya Cricket News: क्रिकेट की दुनिया में कभी-कभी ऐसी टीमें उभरती हैं जो इतिहास रच देती हैं, लेकिन आंतरिक कलह और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। केन्या क्रिकेट टीम की कहानी ऐसी ही है – एक ऐसी यात्रा जो 1996 विश्व कप के ऐतिहासिक अपसेट से शुरू होकर 2003 के सेमीफाइनल तक पहुंची, लेकिन उसके बाद भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और आंतरिक झगड़ों ने इसे भुला दिया। क्या केन्या कभी फिर से उठ सकेगा? आइए, इस जज्बाती सफर को करीब से देखें।
औपनिवेशिक जड़ों से वैश्विक पटल पर एंट्री
क्रिकेट केन्या में 1880 के दशक में ब्रिटिश प्रभाव के साथ पहुंचा। 1899 में पहला महत्वपूर्ण मैच खेला गया, जब ईस्ट अफ्रीकन प्रोटेक्टोरेट ने रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड को मंबासा में हराया। 1914 में केन्या की टीम ने युगांडा का दौरा किया और जीत हासिल की। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केन्या का सफर 1966 में आईसीसी के एसोसिएट मेंबर बनने के बाद शुरू हुआ। 1979 के आईसीसी ट्रॉफी में ईस्ट अफ्रीका ने हिस्सा लिया, लेकिन ग्रुप स्टेज से बाहर हो गया। असली ब्रेकथ्रू 1994 आईसीसी ट्रॉफी में आया, जब केन्या ने फाइनल में यूएई को हराकर रनर-अप रहा और 1996 विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया।
इससे पहले, केन्या को वनडे इंटरनेशनल (ओडीआई) स्टेटस नहीं था। 1996 विश्व कप में डेब्यू करते हुए केन्या ने सबको चौंका दिया। ग्रुप स्टेज में ऑस्ट्रेलिया, भारत, श्रीलंका, वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे जैसे दिग्गजों के साथ खेले। चार मैच हारने के बावजूद, उन्होंने वेस्टइंडीज को 73 रनों से हराकर पहली ओडीआई जीत दर्ज की – वेस्टइंडीज को सिर्फ 93 रनों पर ऑलआउट कर दिया। इस प्रदर्शन से प्रभावित होकर आईसीसी ने केन्या को पूर्ण ओडीआई स्टेटस दिया, जो 18 साल तक चला।
2003: स्वर्णिम युग और सेमीफाइनल का सपना
2003 विश्व कप केन्या के लिए चरमोत्कर्ष था। दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और केन्या सह-मेजबान थे। साउथ अफ्रीका से शुरुआती हार के बावजूद, केन्या ने कनाडा को 4 विकेट से हराया। फिर आया टूर्नामेंट का सबसे बड़ा अपसेट: न्यूजीलैंड के सुरक्षा कारणों से मैच न खेलने पर केन्या को वॉकओवर मिला। इसके बाद 1996 चैंपियन श्रीलंका को हराकर सब हैरान। बांग्लादेश को भी धूल चटाई, और ग्रुप स्टेज में वेस्टइंडीज से हारकर भी सेकंड प्लेस हासिल किया।
सुपर सिक्स में जिम्बाब्वे को हराया, लेकिन भारत और ऑस्ट्रेलिया से हार गए। फिर भाग्य ने साथ दिया – न्यूजीलैंड के कैरीड फॉरवर्ड पॉइंट्स के कारण केन्या सेमीफाइनल में पहुंच गया, जो पहली गैर-टेस्ट खेलने वाली टीम थी। सेमीफाइनल में भारत ने 91 रनों से हराया, लेकिन स्टीव टीकोलो, मॉरिस ओडुंबे, थॉमस ओडोयो, हितेश मोदी जैसे दिग्गजों ने दुनिया को अपना जुनून दिखाया। कोच संदीप पाटिल ने इसे “अनपेक्षित हीरोइक टेल” कहा। इस सफर ने केन्या को वैश्विक सम्मान दिलाया।
पतन की शुरुआत: भ्रष्टाचार और आंतरिक कलह
2003 के बाद सब बदल गया। 2007 विश्व कप में खराब प्रदर्शन, फिर 2011 तक पहुंचे लेकिन उसके बाद गिरावट। ओडुंबे पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे, जिससे टीम का मनोबल टूटा। लेकिन असली समस्या क्रिकेट केन्या (सीके) बोर्ड में थी – कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार के आरोप और आंतरिक झगड़े। 2014 विश्व कप क्वालीफायर में पांचवें स्थान पर रहकर ओडीआई स्टेटस खो दिया।
फंडिंग की कमी, खिलाड़ियों का विदेश पलायन (जैसे आयरलैंड और अफगानिस्तान की तरह) और बोर्ड के झगड़े ने खेल को पीछे धकेला। 2022 में मनोज पटेल चेयरमैन बने, लेकिन 2025 तक भी विवाद जारी रहा। अप्रैल 2025 में दुबई की एओएस स्पोर्ट्स के साथ 255 मिलियन शिलिंग का टी20 लीग डील साइन हुआ, लेकिन बोर्ड के एक धड़े ने इसे रद्द घोषित कर दिया। सीईओ रोनाल्ड बुक्सी ने कहा, “यह टूर्नामेंट अस्तित्वहीन है।” आईसीसी की मंजूरी न होने से लीग संकट में रहेगा। जून 2025 में बोर्ड ने चेयरमैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर अविश्वास प्रस्ताव पारित किया। ये झगड़े केन्या क्रिकेट को गहरी चोट पहुंचा रहे हैं।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की उम्मीदें
2025 में केन्या टी20आई स्टेटस के साथ खेल रहा है, लेकिन कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीता। अप्रैल 2025 में अंडर-19 टीम आईसीसी यू19 विश्व कप अफ्रीका क्वालीफायर में है। पूर्व भारतीय खिलाड़ी डोड्डा गणेश को हेड कोच बनाया गया। पूर्व कप्तान आसिफ करीम ने कहा, “कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार ने सब बर्बाद कर दिया।” लेकिन युवा प्रतिभाओं से उम्मीद बंधी है – ईस्ट अफ्रीकन टूर्नामेंट्स से नई टैलेंट उभर रही है।
केन्या क्रिकेट की कहानी जुनून, विश्वासघात और खोई संभावनाओं की है। 2003 का सेमीफाइनल आज भी याद है, लेकिन सुधार न हुआ तो भविष्य अंधेरे में ही रहेगा। क्या बोर्ड एकजुट होकर नई शुरुआत करेगा? क्रिकेट प्रेमी यही उम्मीद कर रहे हैं।

