स्टेडियम का गौरवशाली इतिहास, जो अब इतिहास बनने को तैयार

Delhi Nehru Stadium News: देश की राजधानी दिल्ली का प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू (जेएलएन) स्टेडियम, जो 1982 के एशियाई खेलों और 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) की यादों से भरा पड़ा है, अब ध्वस्त कर दिया जाएगा। खेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस 102 एकड़ के विशाल परिसर को एक आधुनिक ‘स्पोर्ट्स सिटी’ में तब्दील किया जाएगा, जिसमें सभी प्रमुख खेलों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं, एथलीटों के लिए आवासीय व्यवस्था और प्रशिक्षण केंद्र शामिल होंगे। यह परियोजना अभी ‘आइडियेशन फेज’ में है, और इसका मॉडल कतर के दोहा स्पोर्ट्स सिटी तथा ऑस्ट्रेलिया की समान परियोजनाओं पर आधारित होगा।

खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “स्टेडियम परिसर का केवल 28 प्रतिशत हिस्सा ही वर्तमान में उपयोग में है। बाकी भूमि बर्बाद पड़ी हुई है। नई स्पोर्ट्स सिटी से न केवल खेल बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा, बल्कि यह 2036 ओलंपिक की मेजबानी की दिशा में भारत की महत्वाकांक्षा को भी बल देगी।” परियोजना की योजना में स्टेडियम को पूरी तरह ध्वस्त करना शामिल है, जबकि यहां स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एसएआई) के मुख्यालय, नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) और नेशनल डोप टेस्टिंग लेबोरेटरी जैसे कार्यालयों को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।

स्टेडियम का गौरवशाली इतिहास, जो अब इतिहास बनने को तैयार
जेएलएन स्टेडियम की स्थापना 1982 के एशियाई खेलों के लिए की गई थी, जब भारत ने मेजबानी के दौरान 13 स्वर्ण, 19 रजत और 25 कांस्य पदक जीतकर पांचवां स्थान हासिल किया था—यह उस समय भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। 2010 के सीडब्ल्यूजी के लिए इसकी मरम्मत पर 961 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिसमें मुख्य फुटबॉल स्टेडियम, एथलेटिक्स ट्रैक, आर्चरी अकादमी, बैडमिंटन कोर्ट और अन्य सुविधाएं शामिल थीं। हाल ही में, 2025 के वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप से पहले 50 करोड़ रुपये और निवेश कर दो नए मोंडो ट्रैक, 10,000 अतिरिक्त सीटें, व्हीलचेयर-अनुकूल लिफ्ट और पहुंचयोग्य वॉशरूम लगाए गए। इसकी क्षमता 60,000 दर्शकों की है, और यह 2017 के अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप सहित कई अंतरराष्ट्रीय आयोजनों का गवाह रहा है।

हालांकि, समय के साथ स्टेडियम की रखरखाव चुनौतियां बढ़ गई हैं। 2024 में गायक दिलजीत दोसांझ के ‘दिल-लुमिनाटी’ कॉन्सर्ट के बाद यहां कचरा और क्षति की शिकायतें सामने आईं, जिसके बाद एसएआई ने तत्काल सफाई अभियान चलाया। फिर भी, मंत्रालय का मानना है कि पुरानी संरचना को बदलकर एक एकीकृत स्पोर्ट्स हब बनाना जरूरी है।

दोहा मॉडल से प्रेरणा
स्पोर्ट्स सिटी का कॉन्सेप्ट कतर के दोहा स्पोर्ट्स सिटी से लिया गया है, जो 618 एकड़ में फैला है और 2006 के एशियाई खेलों के लिए विकसित किया गया था। यह 2022 फीफा वर्ल्ड कप का केंद्र रहा और कतर की ओलंपिक महत्वाकांक्षाओं का आधार है। इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया की मल्टी-स्पोर्ट सुविधाओं का अध्ययन किया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार, नई सिटी में प्रमुख खेलों जैसे हॉकी, कुश्ती, बॉक्सिंग, एथलेटिक्स के अलावा कायाकिंग और कैनोइंग जैसी उभरती विधाओं के लिए केंद्र होंगे।

एथलीटों के लिए आवासीय कॉम्प्लेक्स बनेंगे, ताकि वे आयोजनों के दौरान स्टेडियम के नजदीक रह सकें।
यह परियोजना भारत की खेल नीति को मजबूत करने का हिस्सा है। हाल ही में एसएआई ने 2017 के बाद सबसे बड़ा कोचिंग भर्ती अभियान शुरू किया है, जिसमें 25 अनुशासनों के लिए 320 कोच (50 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित) नियुक्त किए जाएंगे। एशियाई खेलों-2026 की तैयारी के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण है।

समर्थन और चिंताएं
सोशल मीडिया पर इस खबर ने तहलका मचा दिया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #JawaharlalNehruStadium और #SportsCity हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एनडीटीवी स्पोर्ट्स ने इसे “खेल जगत का नया दौर” बताया, जबकि कई यूजर्स ने स्टेडियम के ध्वस्त होने पर भावुक प्रतिक्रियाएं दीं। एक यूजर ने लिखा, “यह स्टेडियम हमारी खेल इतिहास की धरोहर है, क्या इसे बचाने का कोई रास्ता नहीं?” वहीं, कुछ ने इसे “आवश्यक कदम” करार दिया, खासकर ओलंपिक बोली के संदर्भ में।

क्या होगा आगे?
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अभी कोई समयसीमा तय नहीं है। मूल्यांकन पूरा होने के बाद ही योजना चरण शुरू होगा। यह परियोजना न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के खेल प्रेमियों के लिए एक नया अध्याय खोलेगी, लेकिन ध्वस्तीकरण से जुड़ी चुनौतियां जैसे फेडरेशनों का स्थानांतरण और पुरानी यादों का संरक्षण भी महत्वपूर्ण होंगे। खेल मंत्री के रूप में, अनुराग ठाकुर ने पहले कहा था कि भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार हो रहा है—यह स्पोर्ट्स सिटी उस दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है।

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