दोनों संपादकों ने संयुक्त बयान में कहा,
“हम ख़ामोश नहीं होंगे। हमें निशाना इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि हम अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं। जब ज़्यादातर आवाज़ें दबा दी गई हैं, तब भी हम सत्ता को सवाल करने वाली कुछ गिनी-चुनी स्वतंत्र संस्थाओं में से एक हैं।”
क्या हुआ?
• गुरुवार सुबह से SIA की टीम कश्मीर टाइम्स के जम्मू ऑफिस में छापेमारी कर रही है।
• ख़बरें हैं कि संपादकों के ख़िलाफ़ एक FIR दर्ज की गई है और उन्हें “राज्य-विरोधी गतिविधियों” का आरोप लगाया जा रहा है।
• यह मामला किसी “आतंकी मॉड्यूल” से जुड़ा बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस या SIA की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
संपादकों ने क्या कहा?
• सरकार की आलोचना करना और राज्य-विरोधी गतिविधियाँ करना एक नहीं है। बल्कि मज़बूत और सवाल करने वाली पत्रकारिता ही लोकतंत्र को मज़बूत बनाती है।
• कश्मीर टाइम्स 1954 से क्षेत्र की अच्छाइयों-बुराइयों को बिना डरे रिपोर्ट करता आया है। मार्जिनलाइज़्ड समुदायों की आवाज़ उठाना और भ्रष्टाचार की जांच करना हमारा काम है, जो देश को कमज़ोर नहीं, मज़बूत बनाता है।
• यह छापेमारी और आरोप “प्रेस की स्वतंत्रता पर एक और हमला” हैं।
अख़बार का इतिहास और वर्तमान
• कश्मीर टाइम्स की स्थापना प्रसिद्ध पत्रकार वेद भसीन ने 1954 में की थी।
• 2021-22 में लगातार दबाव और परेशानियों के बाद इसका प्रिंट संस्करण बंद करना पड़ा था। तब से यह पूरी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चल रहा है।
संपादकों की अपील
• प्रशासन से तत्काल प्रभाव से यह उत्पीड़न बंद करने, बेबुनियाद आरोप वापस लेने और संविधान में प्रदत्त प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करने की माँग।
• देश-विदेश के पत्रकारों, सिविल सोसाइटी और आम नागरिकों से अपील की कि वे एकजुट होकर खड़े हों, क्योंकि “यह सिर्फ़ कश्मीर टाइम्स का नहीं, पूरी स्वतंत्र पत्रकारिता का संकट है।”
संपादकों ने अंत में कहा:
“राज्य के पास हमारे दफ़्तर पर छापा मारने की ताक़त हो सकती है, लेकिन सच के प्रति हमारे समर्पण को छू भी नहीं सकती।”
पत्रकारिता अपराध नहीं है। जवाबदेही देशद्रोह नहीं है। हम सूचना देना, जांच करना और लोगों की आवाज़ उठाना जारी रखेंगे।

