हिन्दू-मुसलमान के बीच अंग्रेजों ने बोया जो बीज अब पेड़ बन गया, गंगा जमुनी तहजीब में कैसे घुस गया मजहब!
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हिन्दू-मुसलमान के बीच अंग्रेजों ने बोया जो बीज अब पेड़ बन गया, गंगा जमुनी तहजीब में कैसे घुस गया मजहब!

Hindu And Muslim: आज कल लोग पूछते हैं कि जहाँ देखो वहाँ हिन्दू मुसलमान के नाम पर नफरत फैलायी जा रही है। मजहब देखकर ही इन्सान की कदर क्यों की जा रही है? वैसे तो तरह तरह के सवाल हैं लेकिन राजनीति के दृष्टिकोण से देखें तो सत्ता के लिए ये सब हो रहा है। कोई खुद को धर्म निरपेक्ष दिखाने की कोशिश करता है तो कोई कट्टरवादी होते हुए भी खुद को नर्म बताता है, लेकिन जब बात पब्लिक की आती है तो उन्हें धर्म की अफीम दे दी जाती है। एक सवाल यह भी है कि गंगा जमुनी तहजीब में आखिर कैसे घुस गया मजहब। हिंदू मुसलमान का मुद्दा क्या पिछले एक दशक में हुआ है या उससे भी पहला है। चलिए बताते हैं…

वैसे तो हिंदुस्तान में जब राजा महाराजा रहे थे। उस दौरान भी हल्का फुल्का मजहब आड़े आ रहा था और इंसान से ज्यादा उसी की कदर की जा रही थी। भारत पर 200 साल राज करने वाले अंग्रेजों ने हिंदू मुसलमान के ऐसे बीज बोए जो अब पेड़ बन गए हैं।

इस तरह से अंग्रेजों ने बढ़ावा दिया था हिंदू मुसलमान को

वैसे तो 1901 में अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन की घोषणा की जो 1905 में हो गया। उस वक्त यदि बंगाल विभाजन देखा जाए तो हिन्दू और मुसलमान के ही दृष्टिकोण से हुआ था। पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल नाम दिया गया है लेकिन ये उस हिसाब से बाँटा जहाँ हिंदू बहुल इलाका था उसको एक तरफ किया गया और जो मुस्लिम बहुल इलाका था उसको दूसरी तरफ कर दिया गया। नाम दिया गया कि विभाजन प्रशासन के दृष्टिकोण से किया गया है, लेकिन समझने वाले अंग्रेजों की चाल समझ रहे थे। उस वक्त लोग हिंदू मुसलमान कम और भारतीय ज्यादा थे।

1906 में बनी मुस्लिम लीग

कांग्रेस के सूरत अधिवेशन 1906 के दौरान मुस्लिम लीग का जन्म हो गया। उस समय सलीमउल्लाह और आगा खान ने मुस्लिम लीग की स्थापना की। अपनी विभिन्न माँगो को लेकर मुस्लिम लीग का गठन किया गया। इसके बाद से हिंदू और मुसलमान की राजनीति बढ़ती चली गई। रही सही कसर 1909 में अंग्रेजों ने मार्ले मिण्टों एक्ट लाकर कर दी। मार्ले मिण्टो एक्ट में प्रावधान किया गया है कि हिन्दू हिन्दू को वोट कर सकते हैं और मुसलमान मुसलमान को वोट कर सकते हैं, तो इसके बाद अंग्रेज समझते चले गये कि भारतीय लोगों को धर्म की अफीम देते रहें और राज करते रहे हैं। जिस वक्त 1948 में रेडक्लिफ कमीशन बना उसमें भी हिंदू बहुल और मुस्लिम बहुल इलाके चिन्हित करते हुए उनका बँटवारा किया।

एसपी के बयान पर सोशल मीडिया पर क्यों नाराज हुए थे राइट विंग्स

बहराइच में महाराज गंज इलाके में हिंसा हुई। गोपाल मिश्रा नामक युवक की गोली मारकर हत्या की गई थी। उसके बाद आगजनी हुई, जमकर बवाल काटा, लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा ऐसा क्यों हुआ? तरह तरह के लोग तर्क देते रहे और हिन्दू अपने पक्ष में बात करते रहे तो मुसलमान खुद को सही ठहराते रहे। इसी बीच एसपी बहराइच वृंदा शुक्ला का एक बयान में जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें उन्होने कहा कि हिन्दू पक्ष शोभायात्रा निकाल रहा था और वो मुस्लिम बहुल इलाके की ओर चला गया। उन्होने अपने बयान में जो भी कहा जमीनी सचाई थी, लेकिन राइट विंग्स लोग सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रॉल करने लगे। इलाकों के हिसाब से हमेशा हिंदू मुसलमान होता रहा है। तो एसपी साहिबा की क्या गलती है जो उन्होंने हकीकत पाया वहीं बयां किया और जिस वक्त मुस्लिम इलाकों में हमला कर घर और दुकानें जलायी गई। उस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। उन पर भी उन्होंने कार्रवाई की।

हिन्दू मुस्लिम टॉपिक नहीं होगा तो क्या भाजपा के लिए मुश्किल होगी

देश के हर नागरिक के दिलो-दिमाग में एक सवाल हमेशा घूमता रहता है। वो यहीं है कि हिंदू और मुसलमान टॉपिक ना हो तो क्या भाजपा सत्ता में रह सकती है? क्या कांग्रेस सत्ता में आ सकती है। दरअसल ऐसा नहीं कि भाजपा ही हिंदू मुसलमान कर रही है। अपने अपने फायदे को लेकर सभी पार्टियां खुद को परजेंट करती हैं। भाजपा पूरी तरह हिन्दुओं को सुरक्षित रखने का दावा करती है। जबकि कांग्रेस समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी खुद को धर्मनिरपेक्ष बता कर मुसलमानों से सीधे सीधे वोट लेना चाहती हैं। साथ ही उन धर्मनिरपेक्ष लोगों को भी जोड़ना चाहती है, जो दूसरे धर्मों से आते हैं लेकिन देखिए भाजपा में आज कल बड़े बड़े कांग्रेस के नेता शामिल हो चुके हैं। ऐसा लगने लगा है कि भाजपा भी कांग्रेस ही बन गई है।

 

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