संविधान का उद्देश्य न्याय, स्वतंत्रता, समानता की प्राप्ति: गौतम
गौतम पब्लिक स्कूल में मनाया गया संविधान दिवस, छात्र छात्राओं को दी गई भारतीय संविधान की जानकारी
Ghaziabad news : प्रताप विहार स्थित गौतम पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में शनिवार को भारतीय संविधान दिवस मनाया गया। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भारतीय संविधान के बारे में जानकारी देना था। इस अवसर पर विद्यार्थियों को भारत के संविधान के बारे में अनेक जानकारियां दी गईं और बच्चों को संविधान रक्षा की शपथ दिलाई गई। इस दौरान स्कूल में विभिन्न प्रकार की एक्टिविटी भी कराई गई और जूनियर विंग के विद्यार्थियों ने बीआर अम्बेडकर, जवाहर लाल नेहरू, रानी लक्ष्मी बाई, भगत सिंह, गोपाल सिंह गोखले बन कर सबका मन का मोह लिया।
स्कूल की प्रधानाचार्या पूनम गौतम ने बताया भारतीय संविधान सभी भारतीयों के लिए एक गर्व है। भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है, जिसे संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया। भारत के संविधान के बारे में सुनकर हमे डॉ भीमराव आंबेडकर की वह छवि याद आ जाती है जो की सभी हिंदुस्तानियों के दिलो दिमाग तक बसी है। संविधान के उद्देश्य न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की प्राप्ति है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूपों में न्याय प्राप्त करने की मांग की जाती है। न्याय का विचार रूसी क्रांति 1917 से लिया गया है। सामाजिक न्याय जाति, धर्म, लिंग, रंग आदि के आधार पर भेदभाव के बिना नागरिकों के समान व्यवहार की अनुमति देता है। 1950 में पहली बार लागू होने के बाद से सितंबर 2023 तक, भारत के संविधान में 106 संशोधन हो चुके हैं। भारत के संविधान में तीन प्रकार के संशोधन हैं, जिनमें से दूसरे और तीसरे प्रकार के संशोधन अनुच्छेद 368 द्वारा शासित होते हैं। संविधान (106 वां संशोधन) अधिनियम 2023 को हाल में राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हो गई है।
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उप प्रधानाचार्या तनूजा ने बताया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे पहले निर्वाचित संसद ने जो नया संविधान प्रसिद्ध संविधानविद डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में बनाया गया, उसी का मूल स्वरूप आज भारत में लागू है। यद्यपि समय और स्थितियों के अनुरूप अब तक उसमें कई सुधार, संशोधन और परिवर्द्धित किए जा चुके हैं, समय-समय पर अब भी किए जाते हैं।
एक भारतीय नागरिक होने के नाते आपको समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा से संबंधित अधिकार मिले हुए है। यदि आप के किसी भी अधिकार का हनन होता है, तो आपको संवैधानिक उपचारों का भी अधिकार प्राप्त है। यह हमारा पावन राष्ट्रीय कर्तव्य है कि हम निजी और राष्ट्रीय जीवन में संविधान की मूल भावनाओं और प्रावधानों का उत्साहपूर्वक पालन करने को निजी और सार्वजनिक जीवन में आचरण की सुचिता रखें।
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