लालू परिवार को लग रहा झटके पे झटका, बेटे के बाद बेटी ने छोड़ा साथ

Rift in Lalu’s family News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की करारी शिकस्त के एक दिन बाद लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और परिवार से दूरी बनाने का चौंकाने वाला ऐलान कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किए गए एक संक्षिप्त लेकिन भावुक संदेश में रोहिणी ने संजय यादव और रमीज पर जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि उन्होंने ही उन्हें यह कदम उठाने को कहा था। इस बयान ने लालू परिवार और आरजेडी में पहले से चले आ रहे आंतरिक कलह को और गहरा कर दिया है।

रोहिणी आचार्य ने शनिवार सुबह एक्स पर लिखा, “मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से किनारा कर रही हूं… यह संजय यादव और रमीज ने ही मुझे करने को कहा था… और मैं सारी जिम्मेदारी खुद ले रही हूं।” यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गई और अब तक लाखों व्यूज बटोर चुकी है। संजय यादव आरजेडी के राज्यसभा सांसद और तेजस्वी यादव के करीबी सलाहकार हैं, जबकि रमीज तेजस्वी के पुराने दोस्त हैं, जो उत्तर प्रदेश के एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। रोहिणी के इस बयान से साफ है कि पार्टी के भीतर सत्ता के खेल और परिवारिक विवाद ने अब खुली चुनौती का रूप ले लिया है।

बिहार चुनाव परिणामों ने महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) को बुरी तरह पटखनी दी है। एनडीए ने 243 सीटों में से 202 पर कब्जा जमाकर ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिसमें भाजपा को 89, नीतीश कुमार की जेडीयू को 85, चिराग पासवान की एलजेपी (आरवी) को 19, हम को 5 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 4 सीटें मिलीं। दूसरी ओर, आरजेडी का प्रदर्शन 2020 के 75 सीटों से लुढ़ककर महज 25-26 सीटों पर सिमट गया, जबकि कांग्रेस को केवल 6 सीटें नसीब हुईं। महागठबंधन का कुल टोटल 35-40 सीटों से भी नीचे रहा, जो सरकार बनाने से कोसों दूर है। आरजेडी ने हार को स्वीकार करते हुए कहा कि वह “निराश नहीं है”, लेकिन रोहिणी का बयान पार्टी के भविष्य पर सवालिया निशान लगा रहा है।

यह घटनाक्रम लालू परिवार के लंबे समय से चल रहे विवादों की कड़ी है। कुछ महीने पहले ही लालू ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को “गैर-जिम्मेदार व्यवहार” के चलते पार्टी और परिवार से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। रोहिणी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में सारण से आरजेडी की उम्मीदवार रहीं और हार गईं, ने भी हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर परिवार और पार्टी नेताओं को अनफॉलो कर दिया था। सितंबर में उन्होंने किडनी दान को लेकर अफवाहों पर खुली चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कोई साबित कर दे कि उन्होंने अपने पिता को किडनी नहीं दी, तो वह राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन छोड़ देंगी। चुनाव प्रचार के दौरान वह तेजस्वी के लिए सक्रिय दिखीं, लेकिन हार के बाद यह विस्फोटक बयान आया।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रोहिणी का यह कदम तेज प्रताप के निष्कासन से उनकी नाराजगी का परिणाम हो सकता है। कुछ इसे दबाव की रणनीति भी बता रहे हैं, ताकि तेजस्वी संजय यादव जैसे करीबियों पर कार्रवाई करें। एक्स पर चर्चा तेज है, जहां यूजर्स इसे “लालू परिवार का अंत” और “आरजेडी का संकट” बता रहे हैं। विपक्षी दलों ने इसे “परिवारवाद की हार” का प्रतीक बताया है, जबकि एनडीए की जीत को मोदी-नीतीश की जोड़ी का कमाल करार दिया जा रहा है।

रोहिणी का राजनीतिक सफर छोटा लेकिन चर्चित रहा। 2022 में उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान कर देशभर में सुर्खियां बटोरीं। लेकिन पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष ने अब उन्हें किनारे पर ला खड़ा किया है। आरजेडी के लिए यह हार न केवल विधानसभा बल्कि 2026 के राष्ट्रीय परिदृश्य में भी बड़ा झटका है। क्या यह परिवारिक फूट पार्टी को और कमजोर करेगी या कोई नया मोड़ लाएगी? फिलहाल, बिहार की सियासत में यह नया ट्विस्ट सबको चौंका रहा है।

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