ghaziabad news ससुराल पक्ष से पीड़ित महिला पहलवान राखी ने अपने ससुराल और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए दूसरे दिन भी जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना व आमरण अनशन जारी रखा। राखी का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन लाखों पीड़ित महिलाओं की आवाज है , जिन्हें वर्षों से न्याय नहीं मिला। राखी ने आरोप लगाया कि उसके ससुराल वालों ने उन्हें बिना किसी कारण घर से निकाल दिया और पुलिस से शिकायत के बावजूद न केवल सहायता नहीं मिली, बल्कि 17 अगस्त को पुलिस ने उनके साथ बर्बरता भी की। उन्होंने सवाल उठाया, कि मेरे साथ यह बर्बरता किसके आदेश पर की गई और अब तक मेरा पक्ष तो सुना गया, लेकिन ससुराल पक्ष को सामने क्यों नहीं लाया गया। राखी ने कहा कि पुलिस ने दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर बातचीत कराने का आश्वासन दिया था, पर दूसरा पक्ष अब तक नदारद है। प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता पर उन्होंने गहरा रोष जताया ।
राखी ने कहा कि अगर मेरी मांगे शीघ्र पूरी नहीं हुईं, तो मैं जल का भी त्याग करूंगी। चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए, मैं यह लड़ाई नहीं छोड़ूंगी। उनका यह विरोध धीरे-धीरे महिला सशक्तिकरण का प्रतीक आंदोलन बनता जा रहा है, परंतु प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
राखी ने समाज और नागरिक संगठनों से अपील करते हुए कहा, हमारी ताकत हमारी एकता में है। यह आंदोलन सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि हर उस बहन-बेटी के लिए है जो अपने हक के लिए संघर्ष कर रही है। उनकी इस अपील के बाद कई सामाजिक संगठन और स्थानीय नागरिक जिला मुख्यालय के बाहर जुटने लगे हैं, लेकिन प्रशासन अब तक मौन साधे हुए है।यदि यह अनशन और लंबा खिंचता है तो यह गाजियाबाद में महिला अधिकारों के एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। अब देखने की बात होगी कि जिला प्रशासन कब और कैसे इस संवेदनशील मामले में कदम उठाता है।
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राखी की यह है प्रमुख पांच मांगे
ससुराल से जवाबदेही
उन्हें यह बताया जाए कि उनकी गलती क्या थी। यदि कोई दोष नहीं है तो उन्हें सम्मान सहित घर वापस ले जाया जाए।
पुलिस पर जांच
17 अगस्त की पुलिस बर्बरता की न्यायिक जांच हो कि आदेश किसका था।
निष्पक्ष हो सुनवाई
घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत उनके मामले की त्वरित व निष्पक्ष सुनवाई हो।
त्वरित न्याय की हो व्यवस्था
महिलाओं को वर्षों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर न काटने पड़ें, इसके लिए प्रक्रिया में सुधार किया जाए।
कानूनी संशोधन की मांग
राखी ने कहा कि मौजूदा कानूनों में बदलाव जरूरी है ताकि पीड़ित महिलाओं को तत्काल राहत मिल सकें।
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