Pornography News: हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ न्यूज़ पोर्टलों पर यह खबर तेजी से वायरल हो रही है कि इनकॉग्निटो मोड में पोर्न देखने वालों पर सरकार सख्त कार्रवाई करने की योजना बना रही है। दावा किया जा रहा है कि सरकार लोगों के फोन और इंटरनेट गतिविधियों पर नजर रख रही है, और जो लोग निजी तौर पर (इनकॉग्निटो मोड में) ऐसी सामग्री देख रहे हैं, उन्हें जेल हो सकती है। इस खबर ने इंटरनेट यूजर्स के बीच हड़कंप मचा दिया है। आइए, इस मुद्दे की सच्चाई और तथ्यों को समझने की कोशिश करते हैं।
खबर का आधार और दावे
वायरल खबरों में कहा जा रहा है कि भारत सरकार ने इंटरनेट यूजर्स की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इनकॉग्निटो मोड, जो आमतौर पर ब्राउज़िंग हिस्ट्री और कुकीज़ को सेव नहीं करता, अब पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। सरकार विशेष तकनीकों और सॉफ्टवेयर के जरिए यूजर्स की ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक कर रही है। साथ ही, यह भी कहा जा रहा है कि पोर्नोग्राफिक सामग्री देखना या साझा करना गैरकानूनी है और इसके लिए जेल की सजा हो सकती है।
क्या है सच्चाई?
भारत में पोर्नोग्राफी से संबंधित कानून पहले से ही मौजूद हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292 और 293 के तहत अश्लील सामग्री का उत्पादन, वितरण, या सार्वजनिक प्रदर्शन गैरकानूनी है। इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), 2000 की धारा 67, 67A, और 67B में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने पर सजा का प्रावधान है। इन कानूनों के तहत सजा में 3 से 7 साल तक की जेल और जुर्माना शामिल हो सकता है।
हालांकि, इनकॉग्निटो मोड में निजी तौर पर पोर्न देखने को लेकर कोई स्पष्ट नया कानून या सरकारी आदेश सामने नहीं आया है। इनकॉग्निटो मोड ब्राउज़र की हिस्ट्री तो नहीं बचाता, लेकिन इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) और वेबसाइट्स कुछ हद तक यूजर की गतिविधियों को ट्रैक कर सकती हैं। सरकार भी साइबर अपराधों की जांच के लिए इंटरनेट ट्रैफिक की निगरानी कर सकती है, लेकिन यह आमतौर पर गंभीर अपराधों, जैसे आतंकवाद या बाल पोर्नोग्राफी, से संबंधित मामलों तक सीमित है।
क्या इनकॉग्निटो मोड पूरी तरह सुरक्षित है?
तकनीकी रूप से, इनकॉग्निटो मोड केवल आपके डिवाइस पर ब्राउज़िंग हिस्ट्री, कुकीज़, और सर्च डेटा को सेव होने से रोकता है। लेकिन यह आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को पूरी तरह गुप्त नहीं बनाता। आपके ISP, नेटवर्क एडमिन, या वेबसाइट्स आपके IP एड्रेस और ट्रैफिक पैटर्न को देख सकते हैं। साथ ही, अगर आप कोई गैरकानूनी गतिविधि (जैसे बाल पोर्नोग्राफी या अवैध सामग्री का वितरण) में शामिल हैं, तो कानून प्रवर्तन एजेंसियां आपके डेटा तक पहुंच सकती हैं।
क्या जेल का डर वास्तविक है?
वायरल खबरों में जेल की सजा का डर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। सामान्य तौर पर निजी तौर पर पोर्न देखने को लेकर कोई सजा नहीं है, बशर्ते सामग्री अवैध न हो (जैसे बाल पोर्नोग्राफी, जो पूरी तरह गैरकानूनी है)। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अश्लील सामग्री को सार्वजनिक रूप से साझा करता है, डाउनलोड करता है, या उसका व्यापार करता है, तो वह कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ सकता है।
सरकार की निगरानी का दायरा
भारत में सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियां साइबर अपराधों को रोकने के लिए इंटरनेट ट्रैफिक की निगरानी करती हैं। सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम (CMS) और अन्य तकनीकों के जरिए सरकार कुछ हद तक डेटा ट्रैक कर सकती है। लेकिन यह निगरानी आम यूजर्स की रोजमर्रा की गतिविधियों पर केंद्रित नहीं होती। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और गंभीर अपराधों से निपटना है।
यूजर्स के लिए सलाह
1. कानूनी सामग्री का उपयोग करें: सुनिश्चित करें कि आप जो सामग्री देख रहे हैं, वह कानूनी हो और उसका स्रोत विश्वसनीय हो।
2. VPN का उपयोग: अगर आप अपनी गोपनीयता को और मजबूत करना चाहते हैं, तो विश्वसनीय VPN सर्विस का उपयोग करें।
3. सुरक्षित ब्राउज़िंग: अनजान वेबसाइट्स से बचें और अपने डिवाइस को मैलवेयर से सुरक्षित रखें।
4. जागरूक रहें: सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली खबरों की सत्यता जांचें। अफवाहें और भ्रामक जानकारी तेजी से फैलती हैं।
निष्कर्ष
इनकॉग्निटो मोड में पोर्न देखने वालों को जेल भेजने की खबरें अभी तक अफवाहों और अतिशयोक्ति पर आधारित प्रतीत होती हैं। भारत में पोर्नोग्राफी से संबंधित कानून सख्त हैं, लेकिन ये मुख्य रूप से अवैध सामग्री के उत्पादन, वितरण, और सार्वजनिक प्रदर्शन पर लागू होते हैं। निजी तौर पर पोर्न देखने को लेकर कोई स्पष्ट सजा का प्रावधान नहीं है, बशर्ते वह कानूनी दायरे में हो। फिर भी, इंटरनेट यूजर्स को अपनी गोपनीयता और कानूनी सीमाओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए। अगर आपको ऐसी खबरों पर संदेह है, तो आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।
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