Patna/Flood News: बिहार की शोक नदी के नाम से कुख्यात कोसी नदी एक बार फिर अपने उफान पर है, जिसने राज्य के कई हिस्सों में तबाही मचाने की आशंका बढ़ा दी है। नेपाल और उत्तर बिहार में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण कोसी नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। कोसी बराज से रिकॉर्ड मात्रा में पानी छोड़े गए हैं, जिसके चलते कई जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।
कोसी नदी का जलस्तर
हाल के आंकड़ों के अनुसार, कोसी बराज से 28 सितंबर 2024 को सुबह 5 बजे तक 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो पिछले 56 वर्षों में सबसे अधिक है। नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 28 सितंबर 2024 को कोसी बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए थे, जिससे 6.81 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। हालांकि, अगस्त 2025 तक जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखा गया, और 14 अगस्त 2025 को कोसी बराज पर जलस्तर 1.95 लाख क्यूसेक तक स्थिर रहा। हाल के दिनों में नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश कम होने के कारण जलस्तर में कुछ कमी आई है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।
प्रभावित क्षेत्र
कोसी नदी के उफान का असर बिहार के कई जिलों पर पड़ा है। सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, शिवहर, गोपालगंज, और पूर्वी-पश्चिमी चंपारण जैसे 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। सुपौल जिले के बसंतपुर, निर्मली, मरौना, सरायगढ़-भपटियाही, और किशनपुर जैसे क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। सीतामढ़ी में बागमती नदी का तटबंध टूटने से मधकौल गांव जलमग्न हो गया, हालांकि मरम्मत कार्य जारी है। कटिहार और पूर्णिया में महानंदा नदी के उफान के कारण कई इलाके डूब गए हैं।
कोसी के साथ-साथ गंडक और गंगा नदियों का जलस्तर भी बढ़ रहा है। मुंगेर में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचने से 20 से अधिक गांव डूब गए हैं, और सड़कों पर 3 फीट तक पानी भर गया है। कोसी नदी के तटबंधों पर दबाव और कटाव का खतरा बना हुआ है, खासकर सुपौल के वीरपुर, झखाड़गढ़, और मुहम्मदगंज पंचायतों में।
बिहार सरकार और प्रशासन के प्रयास
बिहार सरकार ने बाढ़ की स्थिति को देखते हुए हाई अलर्ट जारी किया है। जल संसाधन विभाग की टीमें 24×7 तटबंधों की निगरानी कर रही हैं, जिसमें 90 इंजीनियरों की टीम तैनात है। आपदा प्रबंधन विभाग ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 33 टीमें और 975 नावें प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य के लिए लगाई हैं। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों के जरिए खाद्य सामग्री और राहत सामग्री वितरित की जा रही है। जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने लोगों से घबराने की बजाय सतर्क रहने की अपील की है।
भविष्य के हालात
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की संभावना कम है, जिससे कोसी नदी का जलस्तर स्थिर रह सकता है या उसमें कमी आ सकती है। हालांकि, नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश की स्थिति पर नजर रखी जा रही है, क्योंकि कोसी का 74,030 वर्ग किमी जलग्रहण क्षेत्र का बड़ा हिस्सा (62,620 वर्ग किमी) नेपाल और तिब्बत में है। यदि भारी बारिश दोबारा शुरू होती है, तो जलस्तर फिर से बढ़ सकता है, जिससे बाढ़ का खतरा और गंभीर हो सकता है।
कोसी नदी की प्रकृति ऐतिहासिक रूप से अप्रत्याशित रही है। यह नदी पिछले 250 वर्षों में 120 किमी तक अपना रास्ता बदल चुकी है, जिसके कारण इसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तटबंधों पर निर्भरता और सरकारी नीतियों की विफलता ने कोसी को ‘बिहार का शोक’ बनाए रखा है। भविष्य में बाढ़ नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक उपायों, जैसे बेहतर तटबंध प्रबंधन, गाद प्रबंधन, और पुनर्वास योजनाओं पर ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
कोसी नदी का बढ़ता जलस्तर और बाढ़ की स्थिति बिहार के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई है। प्रशासन के प्रयासों के बावजूद, लाखों लोग प्रभावित हैं, और कई क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। लोगों से सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है। आने वाले दिनों में मौसम की स्थिति और जलस्तर पर कड़ी निगरानी जरूरी होगी ताकि इस प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

