The Festival of Lights Diwali is now the 16th Heritage Site: यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में दीपावली का ऐतिहासिक समावेश

The Festival of Lights Diwali is now the 16th Heritage Site: भारत का प्राचीन प्रकाश पर्व दीपावली आज यूनेस्को की ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची’ में शामिल हो गया। यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की अंतर सरकारी समिति की 20वीं बैठक के दौरान लिया गया, जो पहली बार भारत में लाल किले में आयोजित हो रही है। इस उपलब्धि से भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक पटल पर नई ऊंचाई मिली है, और अब देश की यह 16वीं धरोहर है जो इस प्रतिष्ठित सूची में स्थान पा चुकी है।

बैठक के दौरान घोषणा होते ही लाल किले परिसर में ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज उठे। यह सत्र 8 से 13 दिसंबर तक चल रहा है, जिसमें विश्व भर के विशेषज्ञ अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर चर्चा कर रहे हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे ‘अमर सांस्कृतिक भावना का वैश्विक सम्मान’ बताते हुए कहा, “दीपावली का समावेश भारत और दुनिया भर की उन समुदायों के लिए गर्व का क्षण है जो इस पर्व की अनंत ऊर्जा को जीवित रखते हैं।” उन्होंने जोर दिया कि यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, जो शांति और समृद्धि का संदेश देता है।

दीपावली, जिसे दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू, जैन, सिख और अन्य समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। यह रामायण के नायक भगवान राम के वनवास से लौटने की खुशी में मनाया जाता है, जिसमें घरों को दीयों से सजाया जाता है, रंगोली बनाई जाती है और मिठाइयां बांटी जाती हैं। यूनेस्को ने इसे ‘प्रकाश का पर्व’ के रूप में मान्यता देते हुए कहा कि यह सामुदायिक एकता, पारिवारिक बंधन और नैतिक मूल्यों को मजबूत करता है। संगठन की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, यह समावेश 2025 की 20वीं समिति बैठक में हुआ, जो सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

इससे पहले भारत की 15 धरोहरें इस सूची में शामिल हो चुकी हैं, जिनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक जप परंपरा और रामलीला (रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन) प्रमुख हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “दीपावली का यूनेस्को सूची में प्रवेश भारत के प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों की आधुनिक युग में प्रासंगिकता को दर्शाता है। यह पर्व सदियों से हमें अच्छाई की विजय का विश्वास दिलाता रहा है, और अब यह वैश्विक कल्याण को प्रेरित करेगा।” भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने भी इसे ‘विकास भी, विरासत भी’ के मंत्र का हिस्सा बताते हुए बधाई दी। उन्होंने कहा, “दीपावली अज्ञान पर ज्ञान और अधर्म पर धर्म की विजय का उत्सव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का प्रयास सफल हो रहा है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस वैश्विक मान्यता का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर यूनेस्को के आधिकारिक खाते ने ब्रेकिंग न्यूज के रूप में घोषणा साझा की, जिसमें भारत को बधाई दी गई। विभिन्न राज्यों के नेता और सामान्य नागरिक भी सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं। गुजरात के मंत्री प्रफुल्ल पंषेरिया ने इसे ‘भारत की सभ्यता की चमकदार मान्यता’ कहा, जबकि आकाशवाणी न्यूज ने मराठी में इसे ‘अभिमान का क्षण’ बताया।

यह समावेश न केवल भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को रेखांकित करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे युवा पीढ़ी में परंपराओं के प्रति रुचि जागृत होगी और दीपावली जैसे पर्वों का संरक्षण सुनिश्चित होगा। बैठक के दौरान अन्य देशों की धरोहरों पर भी चर्चा हुई, लेकिन दीपावली का समावेश भारत के लिए सबसे बड़ा सम्मान साबित हुआ।

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